भौतिक राशियों के मात्रक

भौतिक राशियों के मात्रक

किसी भौतिक राशि के मापन के लिए नियत किये गये मान को मात्रक कहते हैं ।
मात्रक के प्रकार -
मूल मात्रकव्युत्पन्न मात्रक
वे मात्रक जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं ।वे मात्रक जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं हैं ।
वे मात्रक जिन्हें किसी अन्य मात्रक में व्युत्पन्न नहीं किया जा सकता है ।वे मात्रक जिन्हें मूल मात्रकों का उपयोग करके व्युत्पन्न किया जा सकता है ।
उदाहरण - द्रव्यमान ,लम्बाई , समयउदाहरण - बल , संवेग , कार्य , वेग
किसी भी भौतिक राशि को व्यक्त करने के लिए उसके आंकिकमान और मात्रक मान की आवश्यकता होती है । यदि कोई भौतिक राशि Q है और उसका आंकिक मान n तथा मात्रक u हो तो उनका गुणनफल नियत रहता है अर्थात् Q = nu = नियतांक अर्थात् किसी भौतिक राशि का आंकिक मान उसके मात्रक के व्युत्क्रमानुपाती होता है । अतः स्पष्ट है कि , ❝ किसी भौतिक राशि का मात्रक जितना छोटा होगा , किसी निश्चित राशि के मापन का आंकिक मान उतना ही अधिक होगा ।❞
यदि एक ही भौतिक राशि के मात्रक क्रमशः u1 , u2 , u3 , . . . . . हों और किसी निश्चित राशि के आंकिक मान क्रमशः n1 , n2 , n3 , . . . . . . हों तो मात्रक एवं संख्यात्मक मान में सम्बन्ध : Q = n1u1 = n2u2 = n3u3 = . . . . . = नियतांक

किसी भी भौतिक राशि का मात्रक चयन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें :

  1. चयन किये हुए मात्रक , ताप , दाब व समय के परिवर्तन से प्रभावित नहीं हों ।
  2. चयन किये हुए मात्रक सर्वमान्य , उचित आकार तथा परिमाण के हों ।
  3. चयनित मात्रक सरलता से परिभाषित किये जा सकें एवं प्रत्येक स्थान पर उनके प्रतिरूप सरलता से बनाये जा सकें ।

मात्रकों की पद्धतियाँ (Systems Of Units)

भौतिक राशियों के मूल मात्रकों के मापन में प्रयुक्त मुख्य मात्रक पद्धतियाँ निम्न हैं । इनमें लम्बाई , द्रव्यमान तथा समय के मूल मात्रक क्रमशः व्यक्त किये जाते हैं -
  1. C.G.S. ( सेन्टीमीटर - ग्राम - सेकण्ड ) पद्धति या गॉसीय पद्धति
  2. M.K.S. ( मीटर - किलोग्राम - सेकण्ड ) पद्धति या जॉर्जी ( Gorgi ) पद्धति
  3. F.P.S. ( फुट - पाउण्ड - सेकण्ड ) पद्धति

C.G.S. पद्धति या गॉसीय पद्धति – इस पद्धति के अन्तर्गत हम द्रव्यमान , लम्बाई , समय को क्रमशः ग्राम , सेन्टीमीटर , सेकण्ड में नापते हैं ।
M.K.S. पद्धति - इस पद्धति में द्रव्यमान , लम्बाई , समय को क्रमशः किलोग्राम , मीटर , सेकण्ड में नापते हैं ।
F.P.S. पद्धति या ब्रिटिश पद्धति - इस पद्धति में द्रव्यमान , लम्बाई , समय को क्रमशः पाउण्ड , फुट , सेकण्ड में नापते हैं ।

मात्रकों की अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति ( S.I. System Of Units )

यह M.K.S. पद्धति का परिवर्तित व परिवर्धित रूप है । 1960 में अन्तर्राष्ट्रीय माप तथा बाट की सामान्य सभा ने मात्रकों की इस अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति का नामकरण S.I. ( System International )किया तथा इसमें भौतिक राशियों को मूल , व्युत्पन्न तथा पूरक मात्रकों के रूप में वर्गीकृत किया गया । इस पद्धति में सात मूल राशियाँ तथा दो पूरक राशियों के मानक मात्रक परिभाषित किये गये हैं ।
ऊपर दी गई सभी राशियों में आजकल F.P.S. पद्धति का उपयोग सामान्यतः नहीं किया जाता है एवं C.G.S. का उपयोग भी कम किया जाता है । C.G.S. पद्धति में मात्रक छोटे होते हैं । भौतिक राशि का संख्यात्मक मान बहुत अधिक हो जाता है , जिससे गणना कठिन हो जाती है । आजकल M.K.S. तथा S.I. पद्धति का उपयोग किया जाता है ।
( A ) मूल मात्रक
क्र . सं .भौतिक राशि का नाममात्रकसंकेत ( प्रतीक )
1.द्रव्यमान ( Mass )किलोग्रामKg
2.लम्बाई ( Length )मीटरm
3.समय ( Time )सेकण्डs
4.ताप ( Temperature )केल्विनK
5.विद्युत धारा ( Electric Current )ऐम्पियरA
6.प्रदीपन तीव्रता ( Luminous Intensity )केण्डेलाCd
7.पदार्थ की मात्रा ( Quantity of Matter )मोलmol
( B ) व्युत्पन्न मात्रक - मूल मात्रकों पर आधारित कुछ सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाली भौतिक राशियों के मात्रक कोष्ठकों में लिखे गये चिह्न द्वारा दिये गये हैं ।
क्र . सं .भौतिक राशि का नाममात्रकसंकेत ( प्रतीक )
1.बल का मात्रकन्यूटन ( N )kgm/s2
2.ऊर्जा या कार्य का मात्रकजूल ( J )Nm
3.शक्ति का मात्रकवॉट ( W )J / s
4.दाब का मात्रकपास्कल ( P )N / m2
5.विद्युत आवेश का मात्रककूलॉम ( C )As
6.विभवान्तर का मात्रकवोल्ट ( V )W / A
J / As
J / C
7.विद्युत प्रतिरोध का मात्रकओम ( Ω )V / A
8.विद्युत धारिता का मात्रकफैरड ( F )C / V
9.विद्युत प्रेरकत्व का मात्रकहैनरी ( H )Ωs
10.चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रकवेबर ( Wb )Vs
Nm / A
J/ A
11.चुम्बकीय फ्लक्स का घनत्वटेस्ला ( T )Wb / m2
N / Am
12.प्रदीप्ति फ्लक्स या दीप्त शक्ति का मात्रकल्यूमैन ( lm )cd / Sr
13.प्रदीप्तन या प्रदीप्त घनत्व का मात्रकलक्स ( lx )lm / m2
( C ) पूरक मात्रक
क्र . सं .भौतिक राशि का नाममात्रकसंकेत ( प्रतीक )
1.समतल कोण ( तलीय कोण )रेडियनrad
2.ठोस कोण या धन कोणस्टेरेडियनsr

महत्त्वपूर्ण तथ्य

( i ) विद्युत धारा को मूल राशि लेने पर इसका मात्रक ऐम्पियर (A) तब पद्धति MKSA कहलाती है ।
( ii ) आवेश Q को शामिल करने पर इसका मात्रक कूलॉम तब पद्धति MKSQ कहलाती है ।

मूल मात्रकों की अन्तर्राष्ट्रीय परिभाषाएँ ( International Definitions Of Fundamental Units )

( 1 ) मीटर ( Meter ) - एक मीटर वह दूरी है जिसमें Kr86 से निर्वात में उत्सर्जित नारंगी लाल प्रकाश की 1,650,763,73 तरंगें स्थित होती हैं एवं दूसरे शब्दों में , 1 मीटर वह दूरी है जो प्रकाश निर्वात में
1299,792,458
 सेकण्ड में तय करता है ।
( 2 ) किलोग्राम ( Kilogram ) - एक किलोग्राम अन्तरराष्ट्रीय बांट व माप संस्था पेरिस में रखे प्लेटिनम - इरेडियम के एक विशेष बेलन के द्रव्यमान के बराबर है । यह 4°C पर एक लीटर जल के द्रव्यमान के बराबर होता है । एक किलोग्राम मात्रा , C12 के 5 × 1025 परमाणुओं के द्रव्यमान के बराबर होती है ।
( 3 ) सेकण्ड ( Second ) - यह वह समय है जिसमें सीजियम - 133 ( Cs133 ) परमाणु 9 , 192 , 631 , 770 बार कम्पन करता है । परमाणु घड़ियाँ इस परिभाषा पर आधारित होती हैं , वे समय का यथार्थ मापन करती हैं और उनमें केवल 5000 वर्षों में एक सेकण्ड की त्रुटि हो सकती है ।
( 4 ) ऐम्पियर ( Ampere ) - यह विद्युत धारा का मात्रक लिया गया है । एक ऐम्पियर वह नियत विद्युतधारा है , जो निर्वात में एक मीटर दूरी पर रखे दो सीधे समान्तर अनन्त लम्बाई व नगण्य त्रिज्या वाले तारों में प्रवाहित होने पर उनके मध्य प्रति इकाई लम्बाई पर लगने वाला बल 2 × 10 -7 न्यूटन / मी . उत्पन्न करे ।
( 5 ) केल्विन ( Kelvin ) - सामान्य वायुमण्डलीय दाब पर जल के क्वथनांक एवं बर्फ के गलनांक के अन्तर का
1100
 वाँ भाग 1 केल्विन ताप कहलाता है । जल के त्रिक बिन्दु ( 273 . 16 केल्विन ) ताप पर ऊष्मागतिक ताप का
1273.16
 वाँ भाग 1 केल्विन कहलाता है । इसका प्रतीक K है । ताप को केल्विन में व्यक्त करने में डिग्री (°) नहीं लिखते । उदाहरणार्थ , कमरे का ताप 304 K है , इसे 304°K लिखना गलत है ।
( 6 ) केन्डेला ( Candela ) - यह प्रदीपन तीव्रता का मात्रक लिया गया है । एक केन्डेला उस प्रदीपन तीव्रता की मात्रा है जो
16,00,000
 वर्गमीटर क्षेत्रफल वाली कृष्ण वस्तु से लम्बवत् उत्सर्जित होती है , जबकि कृष्ण वस्तु ( black body ) का दाब 101 , 325 न्यूटन / मी .2 तथा ताप , प्लेटिनम के गलनांक ( 2046 K ) के बराबर होता है |
( 7 ) मोल ( Mole ) - 1 मोल पदार्थ की वह मात्रा ( द्रव्यमान ) है , जिसमें मूल अवयवों की संख्या उतनी हो जितनी कि 6C12 के 0 . 012 किलोग्राम मात्रा में कार्बन परमाणुओं की होती है । इस संख्या को ऐवोगैड्रो संख्या NA = 6.02 × 1023 प्रति ग्राम मोल कहते हैं ।

पूरक मात्रकों की परिभाषाएँ ( Definitions Of Supplement Units )

अन्तरराष्ट्रीय पद्धति में कोण ( Angle ) तथा ठोस या धन कोण को पूरक राशि एवं इनके मात्रक क्रमशः रेडियन ( radian ) व स्टेरेडियन ( steradian ) को पूरक मात्रक माना गया है ।
( 1 ) रेडियन ( Radian ) - किसी वृत्त की त्रिज्या के बराबर के चाप द्वारा वृत्त के केन्द्र पर अंतरित कोण , 1 रेडियन के बराबर होता है ।
समतल कोण dθ = (
dsr
)रेडियन
यदि ds = r हो तो dθ = 1 रेडियन
( 2 ) स्टेरेडियन ( Steradian ) - यह ठोसीय कोण को मापने का मात्रक है । इसका प्रतीक sr है । किसी गोले के पृष्ठ पर उसकी त्रिज्या r के बराबर भुजा वाले वर्गाकार क्षेत्रफल r2 द्वारा गोले के केन्द्र पर बनाये गये धन कोण को 1 स्टेरेडियन कहते हैं । इसे Ω या ω से व्यक्त करते हैं । किसी केन्द्र बिन्दु पर बनने वाली ठोस कोण 4π होता है ।
धन कोण = ω या Ω =
Ar2
जब A = r2 हो तो ω = Ω = 1 स्टेरेडियन

S.I.पद्धति की विशेषताएँ ( Merits Of S.I. System )

( 1 ) यह मैट्रिक या दशमलव पद्धति है ।
( 2 ) इस पद्धति में मात्रक अचर तथा उपलब्ध मानकों पर आधारित है ।
( 3 ) ये सभी मात्रक सुपरिभाषित एवं पुनः स्थापित होने वाले हैं ।
( 4 ) S.I. पद्धति विज्ञान की सभी शाखाओं में प्रयोग की जा सकती है । परन्तु M.K.S. पद्धति को केवल यांत्रिकी में प्रयोग किया जा सकता है ।
( 5 ) इस पद्धति में सभी भौतिक राशियों के व्युत्पन्न मात्रक केवल मूल मात्रकों को गुणा एवं भाग करके प्राप्त हो सकते हैं ।
( 6 ) यह मात्रकों की परिमेयकृत पद्धति है अर्थात् इस पद्धति से एक भौतिक राशि के लिए एक ही मात्रक का उपयोग होता है ।

नोट -

यांत्रिकी में लम्बाई , द्रव्यमान तथा समय को लिया गया है , परन्तु हम यांत्रिकी में कोई भी तीन राशियाँ मूलभूत राशियों की तरह ले सकते हैं तो अन्य राशियाँ भी इनके पदों में व्यक्त की जा सकती हैं ।
उदाहरण के लिए , यदि चाल तथा समय को मूलभूत राशियों के रूप में लिया जाये तो लम्बाई व्युत्पन्न राशि बन जाती है क्योंकि लम्बाई को हम चाल × समय के रूप में व्यक्त करते हैं तथा यदि बल तथा त्वरण मूलभूत राशियाँ ली जायें तो द्रव्यमान को बल/त्वरण से परिभाषित किया जायेगा तथा यह व्युत्पन्न राशि कहलायेगी ।

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