हिन्दू धर्म से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

हिन्दू धर्म से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

हिन्दू धर्म भारत का सर्वप्रमुख धर्म माना जाता है ।

हिन्दू धर्म की प्राचीनता एवं विशालता के कारण इसे ‘ सनातन धर्म ’ भी कहा जाता है ।

हिन्दू धर्म की शुरुआत लगभग 1500 ई . पू . में मानी जाती है , जब भारतवर्ष में आर्यों का आगमन हुआ ।

हिन्दू धर्म लघु एवं महान परम्पराओं का उत्तम समन्वय दर्शाता है ।

हिन्दू धर्म सगुण एवं बहुदेववादी धर्म माना जाता है ।

हिन्दू धर्म में मोक्ष एवं पुनर्जन्म पर विश्वास किया जाता है ।

हिन्दू धर्म में कर्म को बहुत अधिक महत्त्व प्रदान किया गया है और कहा गया है । कि जो जैसा कर्म करता है उसे उसका वैसा ही परिणाम मिलता है ।

हिन्दू धर्म में देवताओं के साथ देवियों को भी समान महत्ता प्रदान की गई है ।

हिन्दू धर्म में जीवन के चार लक्ष्य बताए गए हैं । ये हैं -
1 . धर्म
2 . अर्थ
3 . काम
4 . मोक्ष ।

हिन्दू धर्म में चार आश्रमों का पालन अनिवार्य माना गया है । ये चार आश्रम हैं -
1. ब्रह्मचर्य
2. गृहस्थ
3. वानप्रस्थ
4.संन्यास ।

हिन्दू धर्म में चार युग - कृत , त्रेता , द्वापर एवं कलि माने गए हैं ।

हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों का पालन अनिवार्य बताया गया है । ये 16 संस्कार हैं - 1 . गर्भाधान
2 , पुंसवन
3 . सीमोन्तोत्रयन
4 . जातकर्म
5 . नामकरण
6 . निष्क्रमण
7 . अन्नप्राशन
8 . चूड़ाकरण
9 . कर्णछेदन
10 . विद्यारम्भ
11 . उपनयन
12 . वेदारम्भ
13 . केशान्त
14 . सावित्री 15 . विवाह
16 . अन्त्येष्टि ।

हिन्दू धर्म वर्ण व्यवस्था पर आधारित है । ऋग्वैदिक काल में केवल आर्य और अनार्य ही दो वर्ण थे , लेकिन कालान्तर में चारवर्ण - ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य एवं शूद्र विकसित हो गए ।

हिन्दू धर्म में चार योग – ज्ञान योग , भक्ति योग , कर्मयोग एवं राजयोग महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं ।

हिन्दू धर्म में चारों दिशाओं में चार धामों की स्थापना की गई है । ये हैं - उत्तर में ब्रदीनाथ , दक्षिण में रामेश्वरम , पूर्व में जगन्नाथपुरी तथा पश्चिम में द्वारका । इन चारों धामों की यात्रा करना प्रत्येक हिन्दू धर्मावलम्बी का पुनीत कर्त्तव्य माना जाता है ।

हिन्दू धर्म के धार्मिक ग्रंथों में वेद , उपनिषद , पुराण , रामायण , महाभारत , गीता , रामचरितमानस आदि मुख्य हैं ।

वेदों की संख्या 4 है । ये हैं ऋग्वेद ,युजर्वेद , सामवेद तथा अथर्ववेद ।

उपनिषदों की संख्या 13 है जबकि पुराणों की संख्या 18 है ।

महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण संस्कृत साहित्य में ‘ आदिकाव्य ’ माना जाता है ।

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  • वाल्मीकि रामायण में सात काण्ड हैं । ये हैं — बालकाण्ड , अयोध्या काण्ड , करण्यकाण्ड , किष्किन्धाकाण्ड , सुंदरकाण्ड , युद्धकाण्ड तथा उत्तर काण्ड ।

    रामायण में कुल मिलाकर 24000 श्लोक हैं । इसी कारण इसे चतुविंशातिस्राहि संहिता भी कहा जाता है ।

    महाभारत के रचयिता वेदव्यास हैं । महाभारत को पंचम वेद के नाम से भी जाना जाता है । आरम्भिक अवस्था में इसे जय संहिता कहा जाता था ।

    महाभारत में कुल 18 पर्व हैं ।

    महाभारत में श्लोकों की संख्या 1 लाख है । इसी कारण इसे ‘ शतसाश्रही संहिता ’ भी कहा जाता है ।

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