किसी भी पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन होने पर वह मूल पदार्थ से रासायनिक गुणों एवं संघटन में भिन्न हो जाता है , इस घटना को रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं अर्थात् किसी पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन होना रासायनिक अभिक्रिया कहलाता है । रासायनिक अभिक्रिया के दौरान अभिकारकों से उत्पादों का निर्माण होता है परन्तु पदार्थ का कुल द्रव्यमान संरक्षित रहता है । रासायनिक अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण से व्यक्त किया जाता है । उदाहरण -
मैग्नीशियम के फीते को ऑक्सीजन में जलाने पर मैग्नीशियम ऑक्साइड का श्वेत रंग का चूर्ण बनता है । यहाँ अभिकारकों में मैग्नीशियम ( Mg ) के परमाणुओं की संख्या 2 है तथा ऑक्सीजन ( O2) के परमाणुओं की संख्या भी 2 है और उत्पाद बनने के पश्चात् भी इनकी संख्या समान ही रहती है । अतः अभिक्रिया से पूर्व एवं पश्चात् में Mg तथा O2 का द्रव्यमान समान रहता है ।
रासायनिक अभिक्रिया में यौगिकों के परमाणुओं के मध्य बने हुए बंध टूटते है तथा नये बंधों का निर्माण होता है । अभिकारकों के संयोग करने , बंधो के टूटने व बनने , अभिक्रिया के वेग तथा प्रकृति के आधार पर रासायनिक अभिक्रियाएँ अनेक प्रकार की होती है ।
संयुग्मन अभिक्रिया ( Addition Reaction )
ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक आपस में संयोग करके एक ही उत्पाद बनाते है संयुग्मन अभिक्रियाएँ कहलाती है । इन अभिक्रियाओं में अभिकारकों के मध्य नये बंधो का निर्माण होता है ।
चूँकि इन अभिक्रियाओं में अभिकारकों का साधारण योग होता । है अतः इन्हें योगशील या योगात्मक अभिक्रिया भी कहा जाता है | जैसे - कोयले का दहन -C(s) + O2(s) → CO2(s)
मैग्नीशियम फीते का दहन - 2Mg(s) + O2(s) → 2MgO(s)
एथीन का हाइड्रोजनीकरण -
CH2 | Ni | CH3 | ||
|| | + | H2(g) | → | | |
CH2(g) | 473k 100atm दाव | CH3(g) |
विस्थापन अभिक्रियाएँ ( Replacement Reaction )
ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें एक अभिकारक में उपस्थित परमाणु या परमाणु का समूह दूसरे अभिकारक के परमाणु या परमाणु समूह द्वारा विस्थापित हो जाता है । इन अभिक्रियाओं में अभिकारकों के पहले से बने हुए बंध टूटते है तथा कुछ नये बंधों का निर्माण भी होता है । जैसे -
CuSO4 | + | Zn | → | ZnSO4 | + | Cu |
कॉपरसल्फेट | जिंक | जिंक सल्फेट | कॉपर |
कॉपर सल्फेट के नीले रंग के विलयन में जिंक के टुकड़े डालने पर कुछ समय पश्चात् CuSO4 विलयन का नीला रंग विलुप्त होने लगता है तथा Cu निक्षेपित होने लगता है , और विलयन में ZnSO4 बनने लगता है । विस्थापन अभिक्रियाओं में अधिक क्रियाशील तत्व तुलनात्मक रूप से कम क्रियाशीलत तत्वों को विस्थापित कर देते हैं । यहाँ Zn अधिक क्रियाशील धातु है तथा Cu कम क्रियाशील धातु है अतः Cu को Zn विस्थापित कर देता है ।
द्विविस्थापन अभिक्रिया
इस प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाओं में दोनों अभिकारकों के परमाणु या परमाणु समूह आपस में विस्थापित हो जाते है तथा नये यौगिकों का निर्माण होता है ।
यहाँ दोनों अभिकारकों के कुछ भाग आपस में विस्थापित होकर नये उत्पाद बनाते हैं । उदाहरण -
CuSO4 | + | 2NaOH | → | Cu(OH)2 | + | Na2SO4 |
कॉपर सल्फेट | सोडियम हाइड्रॉक्साइड | कॉपर हाइड्रॉक्साइड | सोडियम सल्फेट |
यहाँ कॉपर सल्फेट के सल्फेट आयन ( SO4-2 ) सोडियम हाइड्रॉक्साइड के हाइड्रॉक्साइड ( OH- ) आयनों को विस्थापित करते है तथा परिणामस्वरूप कॉपर हाइड्रॉक्साइड [ Cu(OH)2 ] तथा सोडियम सल्फेट ( Na2SO4 ) बनता है ।
उदाहरण -
AgNO3 | + | KCl | →KCl | AgCl | + | KNO3 |
सिल्वर नाइट्रेट | पोटैशियम क्लोराइड | सिल्वर क्लोराइड | पोटैशियम नाइट्रेट |
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अपघटनीय अभिक्रियाएँ ( Dissociation Reaction )
ऐसी अभिक्रियाएँ जिसमें एक अभिकारक अपघटित होकर अर्थात् टूट कर दो या दो से अधिक उत्पाद बनाते है , अपघटनीय अभिक्रियाएँ कहलाती है । इसमें अभिकारकों के मध्य बने हुए बंध टूटते हैं और छोटे अणुओं का निर्माण होता है । यहाँ अभिकारक अधिक अणुभार वाले बड़े अणु होते है जो अपघटित होकर कम अणुभार वाले छोटे अणुओं का निर्माण करते है ।
पदार्थों में अपघटनीय अभिक्रियाओं के लिये ताप , विद्युत प्रकाश आदि उत्तरदायी होते है । अपघटनीय अभिक्रियाएँ के कारण के आधार पर निम्न प्रकार की होती है -
1.विद्युत अपघटन
इस प्रकार की अपघटन अभिक्रिया में किसी यौगिक की गलित या द्रव अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह अपघटित हो जाता है । उदाहरण -जल का विद्युत अपघटन करने पर हाइड्रोजन व ऑक्सीजन गैस बनती है ।
विद्युत अपघटन में ऐनोड व कैथोड पर अलग - अलग उत्पाद प्राप्त होते हैं । साधारणतया ये यौगिक आयनिक प्रवृत्ति के होते है ।
2.ऊष्मीय अपघटन
इस प्रकार की अपघटन अभिक्रियाओं में यौगिक को ऊष्मा देने पर वह छोटे अणुओं में टूट जाता है । उदाहरण -
कैल्शियम कार्बोनेट 473 K तक गर्म करने पर अपघटित होकर कैल्शियम ऑक्साइड व CO2 बनाता है ।
3.प्रकाशीय अपघटन
इस प्रकार की अपघटन अभिक्रियाओं में यौगिक प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त कर छोटे - छोटे अणुओं में टूट जाता है । चूंकि इन अभिक्रियाओं में प्रकाश की उपस्थिति के कारण यौगिक के अपघटन की क्रिया होती है । अतः ये प्रकाशीय अपघटन कहलाती है ।
2HBr | →hμ | H2 | + | Br2 ↑ |
हाइड्रोजन ब्रोमाइड | हाइड्रोजन | ब्रोमीन |
मंद एवं तीव्र अभिक्रिया ( Slow And Fast Reaction )
रासायनिक अभिक्रियाएँ वेग अर्थात् लगने वाले समय के आधार पर दो प्रकार की होती है - मंद तथा तीव्र
1.तीव्र अभिक्रिया
ये अभिक्रियाएँ अभिकारकों को मिलाने पर अत्यन्त तेजी से सम्पन्न होती है । समान्यता ऐसी अभिक्रियाएँ आयनिक अभिक्रियाएँ होती है जैसे कि प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार के मध्य अभिक्रिया 10-10 sec में ही पूरी हो जाती है ।
NaOH + HCl → NaCl + H2O
AgNO3 | + | HCl | → | AgCl श्वेत अवक्षेप | + | HNO3 |
सिल्वर नाइट्रेट तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को मिलाते ही सिल्वर क्लोराइड ( AgCl ) का श्वेत अवक्षेप आ जाता है । पौधों में प्रकाश संश्लेषण अभिक्रिया की गति भी बहुत तेज होती है । इस अभिक्रिया का अर्द्धआयु काल ( t1/2 ) 10-12 sec होता है ।
[ अभिकारकों की आधी मात्रा को उत्पाद में बदलने में लगा समय उस अभिक्रिया का अर्द्धआयुकाल कहलाता हैं ।]
2.मंद अभिक्रिया
कई रासायनिक अभिक्रियाएँ ऐसी होती हैं जिनको पूरा होने में घंटे , दिन या साल तक लग जाते है , इन्हें मंद रासायनिक अभिक्रिया कहते है | जैसे लोहे पर जंग लगने की क्रिया वर्षों तक चलती रहती है , जो मंद रासायनिक अभिक्रिया का उत्तम उदाहरण है ।
4Fe | + | 3O2 | 6H2O | → | 2Fe2O3.3H2Oजंग |
2KClO3 | →Δ | 2KCl | + | O2 |
CH3COOH | + | C2H5OH | → | CH3COOC2H5 | + | H2O |
एसटिक अम्ल | एथेनॉल | एथिल एसीटेट |
उत्क्रमणीय - अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ ( Reversible - Irreversible Reaction )
1. अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ
ऐसी अभिक्रियाएँ जिसमें अभिकारक क्रिया करके उत्पाद बनाते है , ये अभिक्रियाएँ केवल एक ही दिशा में होती है , अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ कहलाती है । इन अभिक्रियाओं में धीरे - धीरे अभिकारकों की सान्द्रता कम होती जाती है तथा उत्पादों की सान्द्रता बढ़ती जाती है । इन रासायनिक अभिक्रियाओं को जब रासायनिक समीकरण के रूप में लिखते है तो साधारण तीर के चिह्न ( → ) के द्वारा ही दिखाया जाता है । उदाहरण -
C | + | O2 | → | CO2 |
कोयला वायु में जलकर कार्बनडाईऑक्साइड बनाता है ।
CH4मेथेन | + | 2O2 | → | CO2 | 2H |
मेथेन का दहन करने पर कार्बन डाई ऑक्साइड व जल बनते है और स्थाई भी होते है इसलिए पुनः अभिक्रिया कर मेथेन नहीं बनाते है । अर्थात् इन अभिक्रियाओं में साधारण तौर पर रासायनिक परिवर्तन होता है और उत्पाद बनते है । उत्पाद से पुनः अभिकारकों का निर्माण नहीं होता है ।
2. उत्क्रमणीय अभिक्रिया
ऐसी अभिक्रियाएँ जिसमें अभिकारक अभिक्रिया करके उत्पाद बनाते हैं , उसी समय उन्हीं परिस्थितियों में उत्पाद भी अभिक्रिया करके अभिकारकों का निर्माण करते है , उत्क्रमणीय अभिक्रिया कहलाती है । ये अभिक्रिया दोनों दिशाओं में होती है । इन अभिक्रियाओं में कभी भी अभिकारकों की मात्रा शून्य नहीं होती है । उत्क्रमणीय में तीर के चिह्न के स्थान पर ( ⇋ ) दोनों ओर अर्द्धतीर का चिह्न लिखा जाता है ।
A + B ⇋ C + D
उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ दो अभिक्रियाओं में विभाजित होती है । जो कि साथ - साथ चलती है ।
( 1 ) A + B → C + D
इसे अग्र अभिक्रिया कहते है ।
( 2 ) C + D → A + B
इसे प्रतीप अभिक्रिया कहते है ।
इस प्रकार उत्क्रमणीय अभिक्रिया एक साथ दोनों दिशाओं ( अग्र व प्रतीप ) में होती है । सर्वप्रथम अभिकारकों ( A + B ) से उत्पाद ( C + D ) का निर्माण होता है । अनुकुल मात्रा में उत्पादों का निर्माण होने के पश्चात् प्रतीप अभिक्रिया प्रारम्भ हो जाती है और अभिकारकों का निर्माण होने लगता है । अभिक्रिया प्रारम्भ होने के बाद कभी भी पूर्ण नहीं होती है हर समय अभिक्रिया मिश्रण में अभिकारक व उत्पाद उपस्थित होते है । यदि अभिक्रिया में गैसों का निर्माण होता है तो अभिक्रिया को बंद पात्र में कराया जाना आवश्यक है ।
N2 | + | 3H2 | ⇋ | 2NH3 |
H2O | + | H2CO3 | ⇋ | H3O+ | HCO3- |
ऐसी ही एक जैव रासायनिक अभिक्रिया का उदाहरण रक्त में हीमोग्लोबीन द्वारा कार्बनडाईऑक्साइड व ऑक्सीजन का वहन है ।
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