सिख धर्म से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

सिख धर्म से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

सिख शब्द शिष्य से उत्पन्न हुआ है , जिसका तात्पर्य है गुरुनानक के शिष्य , अर्थात् उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने वाले ।

सिक्ख धर्म की स्थापना 15वीं शताब्दी में भारत के उत्तर - पश्चिमी भाग के पंजाब प्रांत में गुरुनानक देव द्वारा की गई ।

गुरुनानक का जन्म 1469 ई . में लाहौर ( पाकिस्तान ) के समीप तलवंडी नामक स्थान में हुआ था ।

गुरुनानक हिन्दू - मुस्लिम एकता के समर्थक थे । वे मानव एकता एवं सद्भावना के भी समर्थक थे ।

गुरुनानक ने जगह - जगह भ्रमण कर मानव मात्र के कल्याण का उपदेश दिया । यात्रा के दौरान उनके साथ मर्दाना और बालाबन्धु नामक दो शिष्य हमेशा साथ रहे ।

गुरुनानक ने अपने प्रिय शिष्य ‘ लहणा ’ की क्षमताओं की पहचान कर उसे अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया और उसे अंगद नाम दिया ।

गुरु अंगद ने गुरुनानक देव को वाणियों को संग्रहित करके उसे गुरुमुखी लिपि में लिपिबद्ध कराया ।

सिक्ख धर्म में ‘ सतनाम ’ का अर्थ है – उसी का नाम सत्य हैं ।

सिक्ख धर्म में गुरु परम्परा का विशेष महत्त्व रहा है । इनके 10 गुरु माने गए हैं , जिनके नाम और काल इस प्रकार हैं -

1 . गुरुनानक देव 1469 - 1539
2 . गुरु अंगद 1539 - 1552
3 . गुरु अमरदास 1552 - 1574
4 . गुरु रामदास 1574 - 1581
5 . गुरु अर्जुनदास 1581 - 1606
6 . गुरु हरगोविन्द 1606 - 1644
7 . गुरु हरराय 1644 - 1661
8 . गुरु हरकृष्ण 1661 - 1664
9 . गुरु तेगबहादुर 1664 - 1675
10 . गुरु गोविंद सिंह 1675 - 1708

सिक्ख धर्म के तीसरे गुरु अमरदास ने जाति प्रथा एवं छुआछूत को समाप्त करने के उद्देश्य से लंगर परम्परा की नींव डाली ।

सिक्ख धर्म के चौथे गुरु रामदास ने ‘ अमृत सरोवर ’ ( अब अमृतसर ) नामक एक नए नगर की नींव रखी ।

सिक्ख धर्म के पांचवें गुरु अर्जुनदास ने ‘ हरमिंदर साहब ’ ( स्वर्ण मंदिर ) की स्थापना की ।

गुरु अर्जुनदास ने अपने पिछले गुरुओं तथा अपने समकालीन हिन्दू - मुस्लिम संतों के पदों एवं भजनों का संग्रह कुर ‘ आदि ग्रंथ ’ की रचना की ।

सिक्ख धर्म के दसवें गुरु गोविन्द सिंह सिक्ख पंथ को एक नया स्वरूप , नई शक्ति और नयी ओजस्विता प्रदान की ।

गुरुगोविंद सिंह ने ‘ खालसा -’ परम्परा की स्थापना की । उन्होंने खालसाओं के पांच अनिवार्य लक्षण भी निर्धारित किए , जिन्हें पांच कक्के कहते हैं ये पांच अनिवार्य लक्षण हैं — केश , कंधा , कड़ा , कच्छा और कृपाण ।

गुरु गोविंद सिंह ने पुरुष खालसाओं को ‘ सिंह ’ तथा महिला खालसाओं को ‘ कौर ’ की उपाधि दी ।

गुरु गोविंद सिंह के बाद कोई अन्य गुरु नहीं माना गया , बल्कि ‘ आदिग्रंथ ’ को ही गुरु माना जाने लगा ।

‘ आदि ग्रंथ ’ ही सिक्खों का मुख्य धर्म ग्रंथ है । इसे ‘ गुरु ग्रंथ साहिब ’ भी कहा जाता है ।

गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करने वाले विशेष व्यक्ति को ‘ ग्रन्थी ’ और विशिष्ट रूप से गायन करने वाले व्यक्ति को ‘ रागी ’ कहा जाता है ।

सिक्ख धर्म के 5 प्रमुख धर्म केंद्र ( तख्त ) हैं । ये हैं — अकाल तख्त , हरमिंदर साहेब , पटना साहेब , आनन्दपुर साहेब और हुजूर साहेब ।

वाहे गुरु ’ सिक्ख धर्म में ईश्वर का प्रशंसात्मक नाम है ।

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