कूलॉम का नियम ( 12th Class Physics Notes )

दो आवेशों के मध्य आकर्षण बल या प्रतिकर्षण बल को ज्ञात करने के लिए कूलॉम का नियम उपयोग में लाते हैं । इस नियम के अनुसार किन्हीं दो आवेशों के मध्य कार्यरत बल आवेश के परिमाण व उनके मध्य की दूरी तथा माध्यम पर निर्भर करता है । इस नियम के अनुसार

आवेशों के मध्य बल
चित्र A - आवेशों के मध्य बल

( i ) दो आवेशित वस्तुओं के मध्य आकर्षण या प्रतिकर्षण बल F ,आवेशों के परिमाण q1 , q2 के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है । अर्थात्

F ∝ q1 q2. . . . . . . . . .1

( ii ) दो आवेशित वस्तुओं के मध्य आकर्षण या प्रतिकर्षण बल F उनके मध्य की दूरी r के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है । अर्थात्

F ∝
1 / r2
. . . . . . . . . .2

अत : समीकरण ( 1 ) तथा ( 2 ) से

F ∝
q1 q2 / r2
F =
k q1 q2 / r2
. . . . . . . . . .3
F =
1 / 4πε0
q1 q2 / r2
. . . . . . . . . .4

जहाँ k एक नियतांक है जिसका मान दोनों आवेशों के मध्य माध्यम की प्रकृति तथा मात्रक प्रणाली पर निर्भर करता है ।

k =
1 / 4πε0
= 9 × 109 न्यूटन मी.2 कू.2

ε0 = निर्वात की विद्युतशीलता

समीकरण ( 3 ) से हम आवेशों के मध्य लगने वाले बल के परिमाण को ज्ञात कर सकते हैं ।

समीकरण ( 3 ) में यदि q1 = q2 = 1 कूलॉम और r = 1 मीटर हो तब F = k = 9 × 109 न्यूटन

अतः वायु या निर्वात में 1 मीटर की दूरी पर रखे दो समान परिमाण वाले आवेश 9 × 109 न्यूटन बल अनुभव करें तो उनमें से प्रत्येक आवेश 1 कूलॉम के बराबर होता है ।

यहाँ पर समीकरण ( 3 ) आवेशों के मध्य बल , निर्वात या हवा में व्यक्त करता है ।

यदि आवेश किन्हीं अन्य माध्यमों में स्थित हो जिसकी विद्युतशीलता ε है तो समीकरण ( 3 ) व ( 4 ) से आवेशों के मध्य लगने वाला बल

Fm =
1 / 4πε
q1 q2 / r2
. . . . . . . . . .5

यदि हम आवेशों के मध्य माध्यम को बदलते हैं तो Fm के मान परिवर्तन हो जाता है और ε को माध्यम की निरपेक्ष विद्यतशीलता Absolute Permittivity ) कहते हैं ।

परावैधुतांक ( Dielectric Constant )

दो नियत मान वाले विद्युत आवेशों को भिन्न - भिन्न माध्यमों में एक नियत दूरी पर रखकर उनके मध्य कार्यरत विद्युत बल के प्रेक्षण लेने पर कलॉम ने पाया कि बल का मान माध्यम बदलने पर भिन्न हो जाता है । प्रयोग के प्रेक्षणों ( observations ) में पाया गया कि निर्वात या वायु में विद्युत बल सर्वाधिक तथा कुचालक माध्यम की उपस्थिति में यह अपेक्षाकृत कम हो जाता है तथा सुचालक माध्यम में बल का मान शून्य हो जाता है ।

अत : किसी माध्यम की उपस्थिति में आवेशों के मध्य बल , निर्वात की तुलना में जितने गुना कम प्राप्त होता है , उसे उस माध्यम का परावैधुतांक ( Dielectric Constant ) अथवा आपेक्षिक विद्युतशीलता ( Relative Permittivity ) εr अथवा विशिष्ट परावैद्युतता ( Specific Inductive Capacity ) कहते हैं ।
अर्थात्

परावैद्युतांक εr =
निर्वात या वायु में आवेशों के मध्य बल ( F ) / अभीष्ट माध्यम में आवेशों के मध्य बल ( Fm )

εr =
1 / 4 π ε0
q1. q2 / r2
=
ε / ε0
1 / 4πε
q1. q2 / r2
εr =
ε / ε0
एक विमाहीन राशि है ।
या
ε = εrε0

आवेशों के मध्य माध्यम होने पर

Fm =
1 / 4πε
q1 q2 / r2
इसलिए
Fm =
1 / 4πεrε0
q1 q2 / r2
इसलिए
F / Fm
= εr जो कि माध्यम की आपेक्षिक विद्युतशीलता है या परावैद्युतांक है ।
या
Fm =
F / εr
चूँकि εr > 1
इसलिए
Fm < F

“अतः निष्कर्ष प्राप्त होता है कि दो वैद्युत आवेशों के बीच कोई परावैद्यत माध्यम होने से उनके बीच वैद्युत बल घट जाता है ।”

कुछ प्रचलित परावैद्यत माध्यमों की आपेक्षिक विद्युतशीलता के मान आगे सारणी में दिये गये हैं ।

परावैद्युत पदार्थों की आपेक्षिक विद्युतशीलता ( 20°C ) पर

माध्यमपरावैद्युतांक
हवा1.00059
निर्वात 1
ऑक्सीजन1.00053
पैराफीन मोम2 से 2.5
अभ्रक3 से 6
काँच 5 से 10
रबर 7
ग्लिसरीन 42.5
आसुत जल 80
सुचालक अनन्त ( ∞ )

कूलॉम के नियम का सदिश निरूपण ( Vector Representation of Coulomb's Law )

Vector Representation of Coulomb's Law
कूलॉम के नियम का सदिश निरूपण

बल एक सदिश है , अतः कूलॉम नियम को सदिश संकेतन में लिखना उत्तम होता है । माना q1 तथा q2 आवेशों के स्थिति क्रमशः r1तथा r2 हैं । जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है ।
q2 के द्वारा q1 पर आरोपित बल = F12
q1 के द्वारा q2 पर आरोपित बल = F21
अत : आवेश q1 के सापेक्ष आवेश q2 का स्थिति सदिश = r21 = r2 - r1 तथा q1 व q2 के मध्य दूरी r = |r21| = |( r2 - r1) |

तथा r21^ इकाई सदिश है जिसकी दिशा q1 आवेश से q2 की ओर इंगित है , अत : कूलॉम के नियम से q2 पर आवेश q1 के कारण लगने वाला विद्युत बल -

F21 =
1 / 4πε0
q1 q2 / |r21|2
r21^
या
F21 =
1 / 4πε0
q1 q2 / |r21|3
r21
या
F21 =
1 / 4πε0
q1 q2 / |r2- r1|3
(r2 - r1) . . . . . . . (1)

इसी प्रकार q1 आवेश पर q2 आवेश के कारण लगने वाला विद्युत बल -

F12 =
1 / 4πε0
q1 q2 / |r12|2
r12^
F21 =
1 / 4πε0
q1 q2 / |r12|3
r12
F21 =
1 / 4πε0
q1 q2 / |r1- r2|3
(r1 - r2) . . . . . . . (2)

यहां r12^ व r21^परस्पर विपरीत इकाई सदिश है ।

अतः

F21 = -F12. . . . . . . (3)

समीकरण ( 3 ) से स्पष्ट है कि दो आवेशों द्वारा एक - दूसरे पर लगने वाले बल परिमाण में बराबर परन्तु दिशा में विपरीत होते हैं ( चाहे आवेश किसी भी प्रकार के क्यों न हों ) आवेश q1 व q2 सजातीय प्रकृति के होने पर कूलॉम बलों है F12 और F21 की दिशायें बाह्यमुखी और आवेश विजातीय होने पर अन्तर्मुखी होती हैं ।

इस प्रकार कूलॉम का नियम न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुरूप है । कार्यरत बल आवेशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होता है अर्थात् स्थिर विद्युत बल केन्द्रीय बल होते हैं ।

कूलॉम नियम के महत्त्वपूर्ण तथ्य ( Important Facts Of Coulomb's Law )

( i ) यह नियम गति के तृतीय नियम का पालन करता है ।

( ii ) यह नियम केन्द्रीय बलों को व्यक्त करता है ।

( iii ) कूलॉम के नियम का स्थिर विद्युतिकी में वही महत्व है जो न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम का गुरुत्वाकर्षण भौतिकी में है जबकि इनके संगत राशि आवेश तथा द्रव्यमान है ।

( iv ) इस नियम के लिए आवेश बिन्दुवत् एवं स्थिर होना चाहिए परन्तु सामान्यतः गोलीय आवेशों को ही प्रयुक्त करते हैं ।

( v ) यदि एक आवेश q1 दूसरे आवेश q2 पर कोई बल आरोपित करता है तब यदि तीसरा आवेश q3 पास में लाया जाता है तो q1 द्वारा q2 पर आरोपित बल अपरिवर्तित रहता है ।

( vi ) 10- 15 मीटर की कोटि या इससे कम दूरियों के लिए दो आवेशों के मध्य बल के लिए कूलॉम नियम लागू नहीं होता क्योंकि तब नाभिकीय बल भी उपस्थित होते हैं ।

( vii ) कूलॉम का नियम व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करता है तथा कूलॉम बल संरक्षी बल है ।

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