प्रमुख पाश्चात्य राजनीतिक विचारक Important For B.A. Final Year

Representative Western Political Thinkers

प्लेटो से सम्बंधित प्रश्न

प्लेटो के समय के चार प्रसिद्ध यूनानी नगर - राज्यों के नाम बताइए ।

प्रमुख नगर राज्य ( 1 ) एरिका , ( 2 ) रोचेस्टर , ( 3 ) एथेंस , ( 4 ) रहोड़ आइलैण्ड ।

प्लेटो के न्याय सिद्धान्त को समझाइए ।

व्यक्ति की योग्यता व गुणों के आधार पर कार्यों का विभाजन ही न्याय है । प्लेटो ने मानवीय आत्मा के तीन गुणों ( विवेक , उत्साह व तृष्णा ) के आधार पर निर्मित तीन वर्गों ( शासक , सैनिक व उत्पादक ) को अलग - अलग उत्तरदायित्व सौंपे । ये तीनों वर्ग अपना - अपना कार्य करें , एक - दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप न करें , यही न्याय है ।

प्लेटो का आदर्श राज्य क्या है ?

प्लेटो का आदर्श राज्य एक आध्यात्मिक संस्था है , जिसका उद्देश्य परम सत्य की प्राप्ति है । प्लेटो ने आदर्श राज्य को आत्मा के तीन तत्त्वों के अनुरूप तीन वर्गो आर्थिक , सैनिक और अभिभावक में विभाजित किया । प्लटो के इस आदर्श राज्य में शासक दार्शनिक है और साम्यवाद आधारित सामाजिक व्यवस्था है ।

प्लेटो के अनुसार ' कार्य विशेषीकरण ' क्या है ?

प्लेटो का आदर्श राज्य कार्यों के विशेषीकरण पर आधारित है । प्रत्येक व्यक्ति को वही कार्य करना चाहिए जिसके लिए वह योग्य है । कार्यों के आधार पर ही प्रत्येक व्यक्ति को समाज के तीन वर्गों में से किसी एक के साथ मिला दिया जाता है ।

प्लेटो प्रथम फासीवादी क्यों कहलाता है ?

प्लेटो के विचारों में सावयवी एकता , दार्शनिक राजा के निरंकुश शासन , बुद्धि के अभिजात वर्ग की धारणा , जातीय श्रेष्ठता , स्वतन्त्रता और समानता पर आधारित प्रजातन्त्र की घोर भर्त्सना के आधार पर प्लेटो को प्रथम फासीवादी विचारक कहा जाता है ।

प्लेटो का साम्यवाद किस वर्ग के लिए था और क्यों ?

प्लेटो का साम्यवाद शासक ( संरक्षक ) वर्ग के लिए था । साम्यवाद की योजना के अन्तर्गत संरक्षक वर्ग अपने कुटुम्ब और निजी सम्पत्ति का परित्याग कर देते हैं जिससे कि राज्य संचालन के कार्य में उनके सम्मुख कुटुम्ब और सम्पत्ति से पैदा होने वाले मोह उन्हें पथ - भ्रष्ट न कर सकें ।

प्लेटो द्वारा वर्णित साम्यवाद की अवधारणा के सम्बन्ध में दो बिन्दु लिखिए ।

( 1 ) प्लेटो की साम्यवादी व्यवस्था राज्य की समस्त जनता के लिए नहीं , बल्कि केवल अभिभावक वर्ग ( शासक और सैनिक वर्ग ) के लिए ही है । ( 2 ) प्लेटो की साम्यवादी व्यवस्था के दो प्रमुख तत्त्व है — प्रथम , सम्पत्ति विषयक साम्यवाद , और द्वितीय , परिवार - विषयक साम्यवाद या स्त्रियों का साम्यवाद ।

' राज्य व्यक्ति का ही वृहत् रूप है ' से प्लेटो का क्या आशय है ?

प्लेटो ने राज्य को मानव - आत्मा का वृहत् रूप माना है , जिसके निष्कर्ष इस प्रकार हैं ( 1 ) राज्य व्यक्ति के लिए एक प्राकृतिक संस्था है , क्योंकि यह उसकी आत्मा का ही विराट रूप है , ( 2 ) मानव आत्मा के तीन तत्त्वों से ही विकसित होकर राज्य के तीन वर्गों का निर्माण होता है , ( 3 ) मानव शरीर की तरह ही राज्य रूपी शरीर में भी सावयवी एकता पाई जाती है , ( 4 ) मानव आत्मा और राज्य में एक ही प्रकार का न्याय - सिद्धान्त लागू होता है ।

प्लेटो द्वारा वर्णित ' उदात्त झूठ क्या है ?

जब लोक कल्याणकारी कार्यों के लिए झूठ का सहारा लिया जाए तो प्लेटो उसे ' उदात्त झूठ ' की संज्ञा देता है ।

प्लेटो के शिक्षा के सिद्धान्त की दो विशेषताएँ बताइए ।

( 1 ) मनुष्य के सर्वांगीण विकास पर बल देना , ( 2 ) धर्म और नैतिकता को उचित स्थान देना ।

संरक्षकों के लिए प्लेटो के साम्यवाद की आवश्यकता क्या है ?

प्लेटो के अनुसार संरक्षकों या अभिभावक वर्ग ( शासक और सैनिक वर्ग ) के लिए साम्यवाद की आवश्यकता इस उद्देश्य से है कि एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना है , जिसमें शासक वर्ग अपने सार्वजनिक कर्तव्यों का सर्वाधिक श्रेष्ठतापूर्वक सम्पादन कर सकें । संरक्षकों को राज्य के योग्य बनाने हेतु प्लेटो उनके लिए व्यापक शिक्षा की व्यवस्था करता है जिससे कालान्तर में शिक्षा का प्रभाव समाप्त होकर उनके मानस में दूषित तत्त्व प्रवेश न कर लें ।

प्लेटो के अनुसार न्याय क्या है ?

प्लेटो के अनुसार न्याय राज्य का एक आवश्यक गुण है जो कि अन्य अस्थायी गुणों से मित्रता रखता है । इसको आदर्श राज्य से अलग नहीं किया जा सकता । राज्य रूपी शरीर का यह आत्मारूपी तत्त्व है ।

प्लेटो के साम्यवाद के दो प्रमुख तत्त्व बताइए ।

( i ) सम्पत्ति का साम्यवाद , तथा ( ii ) पलियों का साम्यवाद ।

प्लेटो द्वारा लिखी हुई चार पुस्तकों के नाम लिखिए ।

( 1 ) रिपब्लिक ( Republic ) , ( 2 ) लॉज ( Laws ) , ( 3 ) एपोलॉजी ( Apology ) , ( 4 ) क्रीटो ( Crito ) |

प्लेटो के गुरु और शिष्य का नाम बताइए ।

प्लेटो के गुरु सुकरात थे और शिष्य अरस्तू था ।

प्लेटो के आदर्श राज्य में विद्यमान विभिन्न वर्गों के नाम बताइए ।

( 1 ) उत्पादक वर्ग , ( 2 ) सैनिक वर्ग , तथा ( 3 ) दार्शनिक वर्ग ।

प्लेटोवाद तथा फासीवाद में कोई दो अन्तर बताइए ।

( 1 ) प्लेटोवाद साक्षात् विवेकवाद है जबकि फासीवाद विवेकविरोधी दर्शन है । ( 2 ) प्लेटोवाद संयम पर आधारित है जबकि फासीवाद दमन पर आधारित है ।

प्लेटो की प्रमुख कृति का क्या नाम है ? इसकी काव्यात्मक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।

रिपब्लिक प्लेटो की सर्वोत्तम कृति है । इसमें नाटकीय शैली और कल्पना का अपूर्व रूप देखने को मिलता है ।

प्लेटो की कृतियों की शैली क्या है और इन कृतियों में मुख्य पात्र कौन है ?

प्लेटो की कृतियाँ संवाद शैली में लिखी गई हैं और इन कृतियों में मुख्य पात्र सुकरात है ।

- प्लेटो के ग्रन्थों को ' सम्वाद ' क्यों कहा जाता है ?

प्लेटो के सभी ग्रन्थ प्रश्नोत्तर रूप में , सम्वाद या वार्तालाप शैली में लिखे हुए होने के कारण उन्हें सम्वाद कहते हैं ।

प्लेटो के आदर्श राज्य की कोई चार विशेषताएँ बताइए ।

( i ) आदर्श राज्य आध्यात्मिक और भौतिक आदर्शों का सामंजस्य है । ( ii ) यह स्त्री पुरुषों को समान अधिकार प्रदान करता है । ( iii ) आदर्श राज्य में विशेषीकृत कार्य का सिद्धान्त लागू होता है । ( iv ) आदर्श राज्य की प्रकृति सर्वाधिकारवादी है ।

प्लेटो के न्याय सिद्धान्त की कोई दो विशेषताएँ बताइए ।

( i ) नैतिक सिद्धान्त । ( ii ) न्याय जीवन का एक आन्तरिक तत्व और सन्तुलनकारी धारणा है ।

न्याय को चरितार्थ करने के लिए प्लेटो किन साधनों की बात करता है ?

प्लेटो शिक्षा - व्यवस्था , सम्पत्ति का साम्यवाद और पलियों के साम्यवाद जैसे साधनों की बात करता है ।

प्लेटो ने संरक्षक वर्गों के लिए सम्पत्ति का खण्डन क्यों किया ? दो कारण लिखिए ।

( 1 ) राज्य की एकता की रक्षा के लिए , ( 2 ) भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए ।

प्लेटो के न्याय सिद्धान्त की कोई दो आलोचनाएँ लिखिए ।

( 1 ) दार्शनिक वर्ग को सारी शक्तियाँ देना अनुचित , तथा ( 2 ) गुणों के निर्धारण का कोई सही आधार नहीं ।

प्लेटो ने अपने साम्यवाद का प्रतिपादन किस वर्ग के लिए किया है ?

शासक वर्ग और सैनिक वर्ग के लिए ।

प्लेटो के साम्यवाद और आधुनिक साम्यवाद में दो अन्तर लिखिए ।

( 1 ) प्लेटो के साम्यवाद का उद्देश्य राजनीतिक है । वह कुशासन व भ्रष्टाचार को मिटाकर राज्य की एकता की स्थापना चाहता है , जबकि आधुनिक साम्यवाद का उद्देश्य आर्थिक है । ( 2 ) प्लेटो के साम्यवाद के अनुसार राज्य एक प्राकृतिक संस्था है , जबकि आधुनिक साम्यवाद के अनुसार राज्य एक कृत्रिम संस्था है ।

प्लेटो के अनुसार आत्मा के तीन तत्व या विशेष गुण क्या हैं ?

प्लेटो के अनुसार आत्मा के तीन गुण — विवेक , शौर्य और इन्द्रिय तृष्णा हैं ।

प्लेटो ने राज्यों को कितने वर्गों में विभक्त किया है ? नाम लिखिए ।

दो भागों में ( 1 ) विधिसम्मत राज्य , तथा ( ii ) विधि - विहीन राज्य ।

प्लेटो के राजदर्शन के अमरत्व के लिए उत्तरदायी किन्हीं दो तत्वों का उल्लेख कीजिए ।

( i ) कार्यात्मक विशेषीकरण का सिद्धान्त , तथा ( ii ) बुद्धि का शासन ।

परिवार के साम्यवाद की व्यवस्था का प्रमुख उद्देश्य क्या है ?

परिवार के साम्यवाद की व्यवस्था का प्रमुख उद्देश्य नगर राज्य की एकता को बढ़ावा देना है ।

दार्शनिक राजा के कोई तीन गुण बताइए ।

( 1 ) सत्य का ज्ञाता , ( ii ) निःस्वार्थ भावना , तथा ( i ) विवेकशील ।

अरस्तू से सम्बंधित प्रश्न

अरस्तू के अनुसार दास कौन है ?

अरस्तू के अनुसार दास अपनी प्रकृति से एक सम्पत्ति है और एक सम्पत्ति के रूप में होने के कारण दास का स्वयं पर अपना कोई अधिकार भी नहीं होता है ।

अरस्तू द्वारा बताए गए क्रांति के दो सामान्य कारणों का उल्लेख कीजिए ।

( 1 ) असमानता , तथा ( 2 ) अन्याय ।

अरस्तू ने राज्य को सर्वोच्च समुदाय क्यों कहा ?

अरस्तू के अनुसार राज्य के अन्तर्गत व्यक्ति की समस्त प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है , अत : राज्य सभी समुदायों में सर्वोच्च समुदाय है ।

अरस्तू की दासता की अवधारणा क्या है ?

प्लेटो ने जिस उत्पादक वर्ग को सबसे नीचा रखा , उसे ही अरस्तू ने दास वर्ग कहा है । अरस्तू दासता को स्वाभाविक वस्तु मानता है । उसका मत था कि सम्पत्ति व दासता , प्राकृतिक रूप से गृहस्थी व परिवार के सहायक तत्त्व हैं ।

अरस्तू का मिश्रित संविधान क्या है ?

अरस्तू का मिश्रित संविधान लोकतंत्र व धनिकतंत्र का मेल है । शासन का स्थायित्व और व्यवस्था इन दोनों तत्त्वों के मेल और मध्यम वर्ग की अधिकाधिक सुदृढ़ स्थिति पर निर्भर , करती है । मध्यम वर्ग की प्रधानता रखने वाली शासन व्यवस्था को अरस्तू ने सर्वश्रेष्ठ बताया है जो सर्वोत्तम शासन व्यवस्था संवैधानिकतंत्र या सुप्रजातंत्र का ही रूप है । इस तरह अरस्तू मध्यम वर्ग की प्रधानता रखने वाले शासन को ही मिश्रित संविधान मानता है ।

अरस्तू की अध्ययन पद्धति क्या थी ?

अरस्तू की अध्ययन पद्धति आगमनात्मक पद्धति ( Inductive method ) थी ।

पॉलिटिक्स पुस्तक के लेखक कौन हैं ?

अरस्तू ।

अरस्तू के राज्य की दो विशेषताएँ बताइए ।

( 1 ) राज्य एक स्वाभाविक संस्था है । ( 2 ) राज्य का स्वरूप जैविक है ।

अरस्तू के दो महत्त्वपूर्ण योगदान बताइए ।

( 1 ) वैज्ञानिक पद्धति : आगमनात्मक और तुलनात्मक को अपनाना । ( 2 ) कानून की सर्वोच्चता का प्रतिपादन ।

अरस्तू को राजनीति विज्ञान का पिता क्यों कहा जाता है ? दो तर्क लिखिए ।

( 1 ) अरस्तू प्रथम विचारक था जिसने राजनीति पर यथार्थवादी और व्यावहारिक दृष्टिकोण से विचार व्यक्त किया । ( 2 ) अरस्तू ने राज्य के पूर्ण सिद्धान्त का सर्वप्रथम क्रमबद्ध निरूपण किया ।

अरस्तू द्वारा प्रतिपादित वैधानिक दासता से क्या अभिप्राय है ?

युद्ध में किसी राज्य को पराजित कर लाये हुए बन्दी दास बनाये जा सकते हैं । इस प्रकार की दासता ही अरस्तू की वैधानिक दासता है ।

अरस्तू के अनुसार क्रान्ति क्या है ?

अरस्तू के अनुसार संविधान में किसी भी प्रकार का परिवर्तन अथवा शासन में परिवर्तन ही क्रांति है ।

अरस्तू ने न्याय के कितने भेद बताये हैं ? नाम लिखिए ।

दो भेद- ( i ) पूर्ण न्याय , तथा ( ii ) विशेष न्याय ।

अरस्तू के ' बहुसंख्यक वर्ग के शासन के दो रूप बताइए ।

( i ) बहुतन्त्र या संवैधानिक तन्त्र , तथा ( ii ) भीड़तन्त्र ।

अरस्तू के अनुसार शासन के कितने अंग हैं ? नाम लिखिए ।

अरस्तू के अनुसार शासन के तीन अंग हैं— ( 1 ) सभा ( Assembly ) , ( 2 ) प्रशासक ( Magistracy ) , ( 3 ) न्याय - कर्ता ( Judiciary ) ।

अरस्तू की नागरिकता के दो तत्वों का उल्लेख कीजिए ।

( i ) सम्पत्ति , तथा ( ii ) सद्गुण ।

अरस्तू ने विशेष न्याय के कौन से दो भेद बताये है ?

( i ) वितरणात्मक न्याय और ( ii ) सुधारक न्याय ।

अरस्तू के अनुसार दासता के दो प्रकार कौन - कौनसे हैं ?

( 1 ) प्राकृतिक दासता , तथा ( 2 ) आकस्मिक अथवा कानूनी दासता ।

दासता के सम्बन्ध में अरस्तू का क्या विचार है ?

अरस्तू के अनुसार दासता न केवल आवश्यक वरन् सामाजिक अनिवार्यता भी है ।

दासता के पक्ष में अरस्तू द्वारा दिये गये किन्हीं दो तर्कों का उल्लेख कीजिए ।

( 1 ) दासता एक प्राकृतिक तथ्य है , तथा ( 2 ) दासता नैतिक उन्नति का साधन है ।

अवकाश से अरस्तू का क्या तात्पर्य है ?

अवकाश से अरस्तू का तात्पर्य दास से है । दास स्वामी के जीवन को सुविधामय बनाने , अवकाश प्रदान करने तथा दैनिक जीवन के कार्यों से छुटकारा देने वाला उपकरण है ।

अरस्तू के अनुसार सम्पत्ति क्या है ?

अरस्तू के अनुसार सम्पत्ति पारिवारिक और सामाजिक जीवन के लिए आवश्यक जड़ वस्तुओं का संग्रह है ।

अरस्तू के अनुसार सम्पत्ति के दो प्रकार बताइए ।

व्यक्तिगत सम्पत्ति तथा सामूहिक सम्पत्ति ।

अरस्तू के अनुसार क्रान्ति के कोई तीन विशेष कारणों का उल्लेख कीजिए ।

( i ) शासकों की धृष्टता तथा लाभ की लालसा , ( ii ) सम्मान की लालसा , ( ii ) किसी प्रकार की उत्कृष्टता ।

अरस्तू की शिक्षा के किन्हीं दो उद्देश्यों को लिखिए ।

मानव का नैतिक विकास तथा मानव का बौद्धिक विकास ।

अरस्तू और प्लेटो के विचारों में प्रमुख समानता क्या है ?

दोनों ही विचारकों का मत है कि राज्य नेतृत्व की कला इसी बात में निहित है कि श्रेष्ठ साधनों के द्वारा श्रेष्ठ साध्यों को प्राप्त किया जाए ।

संत थॉमस एक्वीनास से सम्बंधित प्रश्न

किस विचारक को ईसाई अरस्तू कहा जाता है ?

सेबाइन ने संत थॉमस एक्वीनास को ईसाई अरस्तू की संज्ञा दी है ।

एक्वीनास के अनुसार प्राकृतिक कानून क्या है ?

एक्वीनास के अनुसार प्राकृतिक कानून ईश्वरीय अभिव्यंजना है । मनुष्य इन कानूनों की सहायता से भले और बुरे का ज्ञान प्राप्त करता है ।

एक्वीनास के अनुसार बताइए कि दैवीय विधि क्या है ?

एक्वीनास के अनुसार धर्म ग्रन्थों में लिखी हुई बातें दैवी कानून हैं । जहाँ मनुष्य की बुद्धि और विवेक काम नहीं करता वहाँ ये कानून मनुष्य की कमियों को दूर करते हैं । ये कानून सार्वभौमिक नहीं हैं क्योंकि प्रत्येक धर्म में दैवी कानून अलग - अलग होते हैं ।

एक्वीनास के अनुसार शाश्वत कानून क्या है ?

एक्वीनास के अनुसार शाश्वत कानून ईश्वरीय ज्ञान है । शाश्वत कानून दैवी ज्ञान है जो सभी कार्यों और प्रवृत्तियों को निर्देशन देता है । यह स्वयं में सत्य है ।

एक्वीनास के समस्त दर्शन के आधार के कितने सिद्धान्त हैं ? बताइए ।

प्रमुख तीन सिद्धान्त है— ( 1 ) ज्ञान सम्बन्धी सिद्धान्त , ( 2 ) सृष्टि में क्रमबद्धता का सिद्धान्त तथा ( 3 ) मानव - जीवन के उद्देश्य सम्बन्धी सिद्धान्त ।

एक्वीनास के अनुसार बताइए कि दैवी कानून क्या है ?

एक्वीनास के अनुसार धर्म ग्रन्थों में लिखी हुई बातें दैवी कानून हैं । जहाँ मनुष्य की बुद्धि और विवेक काम नहीं करता वहाँ ये कानून मनुष्य की कमियों को दूर करते हैं । ये कानून सार्वभौमिक नहीं हैं क्योंकि प्रत्येक धर्म में दैवी कानून अलग - अलग होते है

थॉमस एक्वीनास द्वारा लिखित चार पुस्तकों का उल्लेख कीजिए ।

( 1 ) अरस्तू की राजनीति पर टिप्पणी , ( 2 ) दी रूल ऑफ प्रिन्सेज , ( 3 ) सुम्मा थियोलॉजिया , ( 4 ) सुम्मो कॉण्ट्रा जैण्टाइल्स ।

एक्वीनास के अनुसार मानवीय कानूनों के दो प्रमुख पक्ष क्या हैं ?

( 1 ) मानवीय कानूनों के पीछे दण्ड की शक्ति है । ( 2 ) मानवीय कानून सकारात्मक विधियाँ हैं ।

सन्त थॉमस एक्वीनास का मुख्य उद्देश्य क्या था ?

सन्त थॉमस एक्वीनास का मुख्य उद्देश्य स्कालिस्टिसिज्म की भावना के अनुरूप ईसाई चर्च की शिक्षाओं तथा अरस्तू के दर्शन के बीच सामंजस्य स्थापित करना था ।

सन्त थॉमस एक्वीनास किस प्रकार के शासन को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं और क्यों ?

सन्त थॉमस एक्वीनास ने राजतन्त्र को सर्वश्रेष्ठ शासन माना है क्योंकि यह ईश्वरीय शासन के सर्वाधिक अनुरूप है ।

एक्वीनास ने राज्य और चर्च के पारस्परिक सम्बन्ध को स्पष्ट करने के लिए किस रूपक का सहारा लिया है ?

एक्वीनास ने राज्य और चर्च के पारस्परिक सम्बन्ध को स्पष्ट करने के लिए जहाज के रूपक का आश्रय लिया है ।

एक्वीनास के अनुसार चर्च के सन्दर्भ में राज्य की क्या स्थिति है ?

राज्य व्यक्ति के धार्मिक उद्देश्य को पूरा करने वाले चर्च का एक साधन है । वह चर्च की अधीनता के द्वारा ही आत्मिक उद्देश्य को पूरा कर सकता है ।

एक्वीनास ने कानूनों का वर्गीकरण कितनी श्रेणियों में किया है ? अथवा एक्वीनास द्वारा प्रतिपादित कानून की चार श्रेणियाँ बताइए ।

चार श्रेणियों में – ( i ) शाश्वत कानून , ( ii ) प्राकृतिक कानून , ( ii ) मानवीय कानून , तथा ( iv ) दैवीय कानून ।

मानवीय कानूनों की कोई दो विशेषताएँ बताइए ।

( i ) मानवीय कानून लौकिक क्षेत्र तक सीमित है । ( ii ) मानवीय कानून सार्वजनिक सहमति और मान्यता पर आधारित होता है ।

एक्वीनास ने दास प्रथा का समर्थन किस आधार पर किया है ?

धार्मिक आधार पर । एक्वीनास के अनुसार , "" दास प्रथा पापियों को दण्ड देने की ईश्वरीय व्यवस्था है । ""

एक्वीनास के अनुसार न्याय क्या है ?

एक्वीनास के अनुसार न्याय प्रत्येक व्यक्ति को उसके अपने अधिकार देने की निश्चित और सनातन इच्छा है ।

थॉमस ने किस पुस्तक में कानून सम्बन्धी विचारों का वर्णन किया है ?

थॉमस ने ' सुम्माथियोलोजिका ' नामक पुस्तक में कानून सम्बन्धी विचारों का वर्णन किया है ।

थॉमस एक्वीनास ने राज्य और चर्च दोनों सत्ताओं का मूल स्रोत किसे माना है ?

ईश्वर को ।

एक्वीनास तथा अरस्तू के बीच तुलना के किन्हीं दो बिन्दुओं को इंगित कीजिए ।

अरस्तू और एक्वीनास दोनों ही राज्य को एक स्वाभाविक संस्था मानते हैं , तथा कानून को विवेक की अभिव्यक्ति मानते हैं ।

एक्वीनास को मध्य युग का अरस्तू सिद्ध करने हेतु दो तर्क दीजिए । अथवा सन्त थॉमस एक्वीनास को मध्य युग का अरस्तू क्यों कहा जाता है ?

( 1 ) एक्वीनास ने सामाजिक एवं राजनीतिक चिन्तन के निर्माण में अरस्तू से पर्याप्त प्रेरणा ली है । ( 2 ) एक्वीनास ने अरस्तू के राज्य सम्बन्धी सिद्धान्त के जंगली तने पर ईसाइयत की महानता के विचार को एक सुन्दर टहनी की कलम की तरह लगाया । इसलिए उसे मध्य - युग का अरस्तू कहा जाता है ।

मैकियावली से सम्बंधित प्रश्न

मैकियावली के राज्य पर विचार प्रकट कीजिए । अथवा मैकियावली राज्य की उत्पत्ति का प्रमुख कारण क्या मानता है ?

मैकियावली का मत है कि मानव की दुष्टता और स्वार्थ को रोकने तथा उसे नियन्त्रित करने के लिए ही राज्य का उदय हुआ है । इसलिए राज्य का उद्देश्य जीवन की प्राप्ति नहीं , बल्कि शक्ति की प्राप्ति हैं ।

मानव स्वभाव पर मैकियावली के विचार बताइए ।

मैकियावली के अनुसार मानव अपनी प्रकृति से अनैतिक व असामाजिक प्राणी है । मनुष्य में विवेक तो है किन्तु आचरण में वह पशुतुल्य है । मनुष्य प्रकृति से नैतिक नहीं है , अपितु आवश्यकता व विवशता के अधीन ही वह नैतिक आचरण करता है ।

मैकियावली द्वारा प्रिंस को दी गई कोई दो सलाहों का उल्लेख कीजिए ।

( 1 ) अधिकाधिक शक्ति का अर्जन करना , ( 2 ) छल - कपट को जानने के लिए प्रिंस को लोमड़ी और भेड़ियों को डराने के लिए उसे शेर होना चाहिए ।

नैतिकता पर मैकियावली के विचारों को इंगित कीजिए ।

मैकियावली ने राजनीति को नैतिकता से पृथक कर उसे स्वतन्त्र स्थान प्रदान किया । उसने नैतिकता के सिद्धान्त की दोहरी व्याख्या की— ( 1 ) राज्य या शासक की नैतिकता , और ( 2 ) नागरिकों की नैतिकता ।

मनुष्य की स्वार्थपरता को रेखांकित करने वाले मैकियावली के कथन का उल्लेख कीजिए ।

प्रिंस के 17 वें अध्याय में मैकियावली का यह कथन इस प्रकार है- "" सामान्य रूप से मनुष्यों के बारे में यह कहा जा सकता है कि वे कृतघ्न , चंचल , झूठे , कायर और लोभी होते हैं । जब तक आपसे सफलता मिलती है , वे पूर्ण रूप से आपके बने रहेंगे । लेकिन जैसे ही उनके लिए आपकी आवश्यकता समाप्त हो जाती है , तो वे आपके विरुद्ध हो जाते हैं । मनुष्य किसी से तभी तक प्रेम करते हैं , जब तक कि उनका स्वार्थ सिद्ध होता है । ""

मैकियावली के विचारों की आलोचना के कोई दो कारण लिखिए ।

( i ) मैकियावली की मानव स्वभाव सम्बन्धी धारणा संकुचित एवं गलत है । ( 2 ) मैकियावली राजनीति विज्ञान के मूल प्रश्नों की उपेक्षा करता है ।

' मैकियावलीवाद ' से क्या तात्पर्य है ?

मैकियावलीवाद के अनुसार राज्य की रक्षा , स्थिरता और विस्तार हेतु सभी प्रकार के मानवीय व पशुत्व , नैतिक और अनैतिक , वैध और अवैध , उचित और अनुचित साधनों का प्रयोग करना चाहिए । उसके अनुसार साध्य ही साधनों का औचित्य है ।

मैकियावली को पुनर्जागरण का प्रतिनिधि क्यों कहा जाता है ?

मैकियावली का युग पुनर्जागरण का युग था , अत : उसे पुनर्जागरण का प्रतिनिधि कहा जाता है ।

मैकियावली को अपने युग का शिशु कहने के पक्ष में दो तर्क दीजिए ।

मैकियावली ने अपने युग के अनुरूप मानवतावादी विचारों को प्रोत्साहित किया , और नैतिकता व आचार को राजनीति से पृथक् किया ।

“ मैकियावली अपने युग का शिशु था । "" यह कथन किस विचारक ने कहा था ?

यह कथन डनिंग ने कहा था ।

मैकियावली की किन्हीं दो पुस्तकों के नाम लिखिए ।

( i ) आर्ट ऑफ वार , ( ii ) दि प्रिंस ।

मैकियावली के अनुसार मनुष्य की सभी सामाजिक और राजनीतिक क्रियाओं का मूल स्रोत क्या है ?

मनुष्य की सभी सामाजिक और राजनीतिक क्रियाओं का मूल स्रोत उसका घोर स्वार्थवाद है ।

मैकियावली की मानव स्वभाव सम्बन्धी विचारधारा के कोई दो दोष बताइए ।

( i ) यह धारणा एकांगी है । ( ii ) यह अत्यन्त सीमित और संकुचित है ।

राजा सम्बन्धी मैकियावली के विचार लिखिए ।

( 1 ) राजा को शेर की भाँति निर्दय और लोमड़ी के समान चालाक होना चाहिए । ( 2 ) राजा को राज्य की सुरक्षा के लिए अधिकाधिक शक्ति का अर्जन करना चाहिए ।

मैकियावली के अनुसार राजा में कौनसे दो पशुओं के गुण होने चाहिए ?

( 1 ) सिंह के समान कठोर , ( 2 ) लोमड़ी के समान चतुर ।

मैकियावली को आधुनिक राजनीतिक विचारों का पिता / जनक क्यों कहा जाता है ? दो कारण लिखिए । अथवा मैकियावली आधुनिक युग का जनक क्यों माना जाता है ? इस सम्बन्ध में दो तर्क दीजिए । अथवा मैकियावली के दो प्रमुख योगदान बताइए ।

( 1 ) मैकियावली ने राष्ट्रीय राज्यों की धारणा का प्रतिपादन करते हुए उन्हें धर्म से मुक्त होने का परामर्श दिया है । ( 2 ) मैकियावली ने आधुनिक युग की राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया ।

किन मध्ययुगीन राजनीतिक विचारों के आधारस्तम्भों को मैकियावली ने ध्वस्त किया ?

मैकियावली ने सामन्तवाद , पोपतन्त्र ( राज्य का दैवीय आधार ) और पवित्र रोमन साम्राज्य को अपने ' मानवतावादी ' , ' राष्ट्रीय राज्य ' तथा ' राजनीति की नैतिकता से पृथक्ता ' सम्बन्धी विचारों से ध्वस्त किया ।

मैकियावली ने अपने अध्ययन में किस पद्धति का प्रयोग किया है ?

उसने यथार्थ और व्यवहारवादी पद्धति का प्रयोग किया है ।

मैकियावली के अनुसार राज्य के तीन शुद्ध रूप कौन - कौनसे हैं ?

( i ) राजतन्त्र , ( ii ) कुलीनतन्त्र , और ( iii ) वैध प्रजातन्त्र ।

मैकियावली द्वारा शासन के दो प्रकारों को बताइए ।

( 1 ) गणतन्त्र , तथा ( 2 ) राजतन्त्र ।

मैकियावली के द्वारा राजा के जिन गुणों का उल्लेख किया गया है , उनमें से किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए ।

( i ) अधिकाधिक शक्ति का अर्जन , तथा ( ii ) साम , दाम , दण्ड और भेद को अपनाना ।

मैकियावली के राजनीतिक विचारों से सम्बन्धित सर्वोत्कृष्ट कृति का नाम लिखिए ।

प्रिंस

' राज्य ' शब्द का आधुनिक अर्थ में सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया ?

निकोलो मैकियावली ने ।

यह विचार किसने व्यक्त किया है कि , “ एक व्यक्ति अपने पिता के हत्यारे को क्षमा कर सकता है किन्तु अपनी पैतृक सम्पत्ति छीनने वाले को नहीं । ""

यह विचार मैकियावली का है ।

हॉब्स से सम्बंधित प्रश्न

हॉब्स द्वारा प्रतिपादित सम्प्रभुता की अवधारणा क्या है ?

सम्प्रभुता से तात्पर्य सर्वोच्च शक्ति से है । हॉब्स की सम्प्रभुता का प्रमुख आधार सामाजिक संविदा को माना जाता है । हॉब्स के अनुसार , "" स्पष्ट या अस्पष्ट किसी भी रूप में हो , संविदा या अनुबन्ध से ही प्रभुसत्ता प्राप्त होती है । ""

हॉब्स वर्णित प्राकृतिक अवस्था में मनुष्य एकाकी क्यों था ?

हॉब्स द्वारा वर्णित प्राकृतिक अवस्था के मानव जीवन में जंगल के नियम का बोलबाला था , सामान्य दण्ड देने वाली शक्ति का अभाव था , निरन्तर युद्ध तथा अविश्वास की दशा विद्यमान थी और व्यक्तिगत सम्पत्ति का अभाव था , इस कारण मनुष्य एकाकी था ।

मानव स्वभाव पर हॉब्स के विचार इंगित कीजिए ।

हॉब्स के अनुसार मनुष्य स्वभावतः स्वार्थी , अहंप्रिय , शक्तिलोलुप , सम्मान और सम्पत्ति की आकांक्षा में रत , प्रसन्नता की खोज में तत्पर रहने वाला है । मानव स्वभाव के विवेचन में हॉब्स ने वैज्ञानिक भौतिकवाद की अवधारणा का प्रतिपादन किया है ।

हॉब्स द्वारा बताई गई प्राकृतिक अवस्था की दो विशेषताएँ बताइए ।

( 1 ) इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रतिस्पर्धा से मुक्त मानव तथा मनुष्यों में भय एवं प्रशंसा की लालसा । ( 2 ) प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक व्यक्ति का शत्रु होता था ।

हॉब्स के चिन्तन पर प्रभाव डालने वाली दो परिस्थितियाँ क्या थीं ?

( 1 ) गृहयुद्ध के कारण इंग्लैण्ड में अराजकता फैली हुई थी । ( 2 ) वैज्ञानिक क्रांति के कारण उसने अपने राजनीतिक चिन्तन का आधार वैज्ञानिक भौतिकवादी पद्धति को बनाया ।

प्राकृतिक अवस्था से क्या तात्पर्य है ?

राज्य की उत्पत्ति से पहले की अवस्था को प्राकृतिक अवस्था का नाम दिया गया है । हॉब्स , लॉक तथा रूसो ने इसका अलग - अलग प्रकार से वर्णन किया है ।

हॉब्स के मानव स्वभाव के चार लक्षण / विशेषताएँ बताइए ।

स्वार्थी , झगड़ालू , छली तथा दंभी ।

हॉब्स द्वारा प्रतिपादित सम्प्रभुता की धारणा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।

( i ) सम्प्रभुता समस्त विधेयात्मक कानूनों का स्रोत है , ( ii ) सम्प्रभुता असीमित है ।

हॉब्स की सम्प्रभुता की क्या विशेषताएँ हैं ?

सम्प्रभुता समस्त विधेयात्मक कानूनों का स्रोत है ; सम्प्रभु की सत्ता निरंकुश है ; यह न्याय की एकमात्र स्रोत है ; यह सर्वव्यापी है तथा यह अपरिवर्तनीय , निर्दमनीय तथा अनुत्तरदायी है ।

हॉब्स द्वारा वर्णित प्राकृतिक अवस्था में मानव जीवन का उल्लेख कीजिए । अथवा हॉब्स के अनुसार प्राकृतिक अवस्था कैसी थी ? अथवा हॉब्स द्वारा चित्रित प्राकृतिक अवस्था के चार लक्षण इंगित कीजिए ।

हॉब्स द्वारा वर्णित प्राकृतिक अवस्था के मानव जीवन में जंगल के नियम का बोलबाला था ; सामान्य दण्ड देने वाली शक्ति का अभाव था ; निरन्तर युद्ध तथा अविश्वास की दशा विद्यमान थी ; और व्यक्तिगत सम्पत्ति का अभाव था ।

हॉब्स ने सामाजिक समझौते का क्या कारण प्रस्तुत किया है ?

मनुष्य के विवेक ने प्राकृतिक अवस्था की अशांति व असुरक्षा से छुटकारा पाने के लिए मनुष्यों को सामाजिक समझौते के लिए विवश किया ।

हॉब्स के समझौते का स्वरूप कैसा था ?

हॉब्स के समझौते में सब व्यक्तियों ने अपनी जीवन की सुरक्षा के लिए एक व्यक्ति या व्यक्ति समूह को अपने अधिकार सौंप दिये ।

हॉब्स के सामाजिक समझौता सिद्धान्त की कोई दो विशेषताएँ लिखिए ।

( 1 ) हॉब्स का सम्प्रभु सर्वोच्च एवं शक्तिशाली है , उसको निरंकुश शक्तियाँ प्राप्त हैं । ( 2 ) हॉब्स का समझौता सामाजिक है , शासकीय नहीं ।

हॉब्स की अध्ययन पद्धति कौनसी थी ?

हॉब्स की अध्ययन पद्धति वैज्ञानिक भौतिकवादी थी ।

हॉब्स ने मनुष्य की प्रकृति में संघर्ष के कौनसे तीन कारण बताये हैं ?

( i ) प्रतिस्पर्धा , ( ii ) अविश्वास , तथा ( iii ) यश की इच्छा ।

हॉब्स के अनुसार मानव की प्रकृति के अन्तर्गत अहम् की भावना का क्या कारण है ?

मानव अपने को दूसरे से अधिक योग्य व शक्तिशाली समझता है । अत : उसमें अहम् की भावना होती है ।

हॉब्स के व्यक्तिवाद सम्बन्धी दो विचार बताइए ।

( 1 ) राज्य साधन तथा व्यक्ति साध्य है । ( 2 ) हॉब्स के अनुसार व्यक्ति को शासन के विरोध का अधिकार है ।

आप कैसे कह सकते हैं कि हॉब्स व्यक्तिवादी था ? कोई दो तर्क दीजिए ।

( 1 ) हॉब्स के चिन्तन का केन्द्र - बिन्दु व्यक्ति था । ( 2 ) हॉब्स की समस्त राज - व्यवस्था व्यक्ति के लिए थी ।

राजनीतिक चिन्तन को हॉब्स की कोई दो देन बताइए ।

( i ) राज्य की उत्पत्ति के सिद्धान्त का अभिनवीकरण , ( ii ) राज्य को उच्च स्थिति प्रदान करना ।

सम्प्रभुता सम्बन्धी हॉब्स का दृष्टिकोण कैसा है ?

हॉब्स निरंकुश एवं असीमित सम्प्रभुता के सिद्धान्त का समर्थक है ।

लेवियाथन क्या है ?

ओल्ड टेस्टामेण्ट के अनुसार लेवियाथन एक अति शक्तिशाली तथा अपराजेय मगरमच्छ है , जिसे जलचरों ने आत्मरक्षार्थ अपना राजा बनाया । हॉब्स के अनुसार लेवियाथन राजनैतिक , नैतिक , समाजशास्त्रीय आदि विषयों का बहुत ही तार्किक विचारों का प्रतिनिधि ग्रंथ है ।

हॉब्स ने शासन व्यवस्था के कितने भेद बताये हैं ?

तीन– ( i ) राजतन्त्र , ( ii ) कुलीनतन्त्र , ( iii ) प्रजातन्त्र ।

हॉब्स के विचारों की कोई दो आलोचनाएँ बताइए ।

( i ) मानव स्वभाव सम्बन्धी धारणा एकांगी , ( ii ) समझौता नितान्त अतार्किक है ।

जॉन लॉक से सम्बंधित प्रश्न

लॉक के चिन्तन को प्रभावित करने वाली प्रमुख घटना कौन - सी थी ?

जन आक्रोश से भयभीत निरंकुश राजा जेम्स द्वितीय का इंग्लैण्ड से भागना और वहाँ गौरवपूर्ण ( रक्तहीन ) क्रांति का होना ।

जॉन लॉक द्वारा लिखित किन्हीं दो पुस्तकों के नाम लिखिए ।

( 1 ) लेटर कन्सर्निंग टॉलरेशन , ( 2 ) सम थॉट कन्सर्निंग एजूकेशन ।

लॉक के राजनीतिक दर्शन में कोई दो उदारवादी तत्त्वों को लिखिए ।

( 1 ) लॉक ने प्राकृतिक अधिकारों को मान्यता दी है । ( 2 ) लॉक ने संसदीय लोकतन्त्र के विकास का समर्थन किया है ।

लॉक के अनुसार प्राकृतिक अधिकारों का उल्लेख कीजिए ।

लॉक के अनुसार प्राकृतिक अधिकार तीन हैं— ( 1 ) जीवन का अधिकार , ( 2 ) स्वतन्त्रता का अधिकार , तथा ( 3 ) सम्पत्ति का अधिकार ।

लॉक उदारवादी था । कोई दो तर्क दीजिए ।

( 1 ) मानवीय विवेक में आस्था होने के कारण , ( 2 ) व्यक्ति के अधिकारों को अनुल्लंघनीय मानने के कारण ।

लॉक के अनुसार सामाजिक अनुबन्ध का कारण क्या है ?

लॉक के अनुसार सामाजिक अनुबन्ध के निम्न कारण ( 1 ) प्राकृतिक नियम स्पष्ट नहीं थे , ( 2 ) निष्पक्ष निर्णय देने वाले न्यायाधीशों का अभाव था , ( 3 ) प्राकृतिक नियमों अथवा इन पर आधारित नियमों को लागू करने वाली शक्ति ( संस्था ) का अभाव था ।

व्यक्तिवाद का अग्रदूत किसे कहा जाता है ?

जॉन लॉक को ।

लॉक के अनुसार मानव स्वभाव के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए ।

लॉक ने मनुष्य को बुद्धिमान एवं विवेकशील प्राणी माना है । लॉक के अनुसार मनुष्य में सहिष्णुता , प्रेम और दयालुता आदि के गुण भी विद्यमान होते हैं ।

लॉक द्वारा वर्णित प्राकृतिक अवस्था की असुविधाएँ क्या हैं ?

( 1 ) प्राकृतिक कानूनों की अपर्याप्तता , ( 2 ) कोई व्यक्ति अपने मामले में न्यायाधीश नहीं हो सकता , ( 3 ) न्याय सफलतापूर्वक लागू नहीं हो सकता ।

उदारवाद की आत्मा किसे कहा जाता है ?

जॉन लॉक को उदारवाद की आत्मा कहा जाता है ।

लॉक ने समझौते का प्रमुख कारण क्या प्रस्तुत किया है ?

लॉक ने कानून निर्माण , उनको लागू करने एवं न्याय करने की संस्थाओं के विकास के लिए समझौता आवश्यक बताया है ।

लॉक के सामाजिक समझौते का स्वरूप कैसा है ?

लॉक ने दो समझौते किये हैं — एक व्यक्तियों एवं समाज के साथ और दूसरा समाज व सरकार के बीच ।

लॉक के सामाजिक समझौते की कोई दो विशेषताएँ बताइए ।

( i ) लॉक का समझौता सामाजिक और राजनीतिक दोनों प्रकार का है । ( ii ) यह सहमति पर आधारित है ।

लॉक ने किस प्रकार के राज्य का समर्थन किया है ?

लॉक ने संवैधानिक राज्य का समर्थन किया है ।

लॉक के दर्शन का सर्वाधिक शक्तिशाली तत्व कौनसा है ?

लॉक के दर्शन का सर्वाधिक शक्तिशाली तत्व उसकी व्यक्तिवादिता है ।

लॉक की दर्शन के क्षेत्र में क्या देन है ?

( i ) उपयोगितावाद की प्रेरणा , ( ii ) धार्मिक सहिष्णुता का प्रतिपादन ।

लॉक द्वारा प्रतिपादित राज्य की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए ।

( i ) राज्य मानव कल्याण का एक साधन मात्र है । ( ii ) राज्य का आधार जन - सहमति है ।

प्राकृतिक अधिकारों की प्रमुख विशेषता बताइए ।

प्राकृतिक अधिकारों की सृष्टि समान या कॉमन वैल्थ की रक्षा करने के लिए हुई है ।

लॉक के अनुसार प्राकृतिक अधिकार कौनसे थे ? अथवा लॉक के अनुसार प्राकृतिक दशा में व्यक्तियों को कितने प्राकृतिक अधिकार प्राप्त थे ?

( i ) जीवन का अधिकार , ( ii ) स्वतन्त्रता का अधिकार , ( iii ) सम्पत्ति का अधिकार ।

रूसो से सम्बंधित प्रश्न

यथार्थ इच्छा एवं आदर्श इच्छा के मध्य क्या अन्तर है ?

यथार्थ इच्छा का उदय व्यक्तिगत स्वार्थ से होता है । समाज हित से इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता है जबकि आदर्श इच्छा मानव के सामाजिक स्वभाव की परिचायक है । मानव की यही आदर्श इच्छा उसे सार्वजनिक कल्याण हेतु प्रेरित करती है ।

रूसो की सामान्य इच्छा को परिभाषित कीजिए ।

रूसो के अनुसार , "" सामान्य इच्छा वह होती है जो सबके हित की इच्छा हो और सब पर लागू हो । इस इच्छा को सामान्य बनाने में मतदाताओं की संख्या की तुलना में उस सामान्य हित का महत्व होता है , जो नागरिकों को एकता में बाँधता है । ""

रूसो ने प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र की आलोचना क्यों की ?

क्योंकि इसमें जनता निर्वाचन के समय ही स्वतंत्र होती है , शेष अवधि में वह दासता की स्थिति में रहती है । इस कारण रूसो ने प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र की आलोचना की ।

रूसो का ' उदात्त वनचर ' ( Noble Savage ) क्या है ?

रूसो का उदात्त वनचर एक आदिम मनुष्य अर्थात् जंगली मानव था जिसका स्वभाव लगभग पशु - तुल्य , निष्पाप और स्वाभाविक रूप से निर्दोष था । उसमें सभ्य मनुष्यों वाले दुर्गुण न थे । वह नैतिकता के विचारों से रहित और सहज भावना से काम करने वाला बुद्धिहीन प्राणी था । रूसो की दृष्टि में मनुष्य आदर्श बर्बर या उत्कृष्ट जंगली ( noble savage ) था ।

रूसो द्वारा दर्शायी गई दो प्रकार की मानवीय इच्छाओं को बताइए ।

( 1 ) यथार्थ इच्छा , तथा ( 2 ) आदर्श इच्छा ।

रूसो के अनुसार प्राकृतिक अवस्था के व्यक्तियों में और समाज के व्यक्तियों में ( समझौते के बाद ) क्या अन्तर है ?

रूसो के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में व्यक्ति पशुतुल्य , निष्पाप , निर्दोष , एकाकी व स्वाभाविक रूप से अच्छा था जबकि आज के समाज के व्यक्ति इंसानियत के दुश्मन , सम्पत्ति के भूखे , स्वार्थी तथा घमण्डी हैं ।

रूसो की सामान्य इच्छा की एक परिभाषा दीजिए ।

ग्रीन के अनुसार , "" सामान्य आदर्शों की सामान्य चेतना ही सामान्य इच्छा है । ""

रूसो द्वारा चित्रित सामान्य इच्छा की कोई चार विशेषताएँ बताइए ।

( 1 ) सामान्य इच्छा अखण्ड है । ( 2 ) सामान्य इच्छा लोक - कल्याणकारी होती है । ( 3 ) यह सर्वोच्च तथा निरंकुश है । ( 4 ) इसका स्वरूप अवैयक्तिक है ।

रूसो के सामान्य इच्छा सिद्धान्त के कोई दो दोष लिखिए ।

( i ) रूसो की सामान्य इच्छा अमूर्त एवं अव्यावहारिक है । ( ii ) सामान्य इच्छा निरंकुशता की ओर ले जाती है ।

रूसो के ग्रन्थों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ कौनसा है ?

सामाजिक अनुबन्ध ।

रूसो के अनुसार आदिम मनुष्य का स्वभाव कैसा था ?

आदिम मनुष्य का स्वभाव लगभग पशु तुल्य , निष्पाप और स्वाभाविक रूप से निर्दोष था ।

रूसो द्वारा चित्रित प्राकृतिक अवस्था की दो विशेषताएँ बताइए ।

एकाकीपन की दशा , तथा निर्दोष , निष्कपट व भोलेपन की दशा ।

रूसो के अनुसार सामान्य इच्छा के दो अंग कौनसे बताये गये हैं ?

( i ) सामान्य व्यक्तियों की इच्छा , ( ii ) सामान्य हित पर आधारित इच्छा ।

सामान्य इच्छा के सिद्धान्त में सर्वाधिक प्रधानता किसे दी गई है ?

सामान्य इच्छा के सिद्धान्त में व्यक्ति तथा सामाजिक हितों को प्रधानता दी गई है ।

सामान्य इच्छा और बहुमत की इच्छा में क्या अन्तर है ?

सामान्य इच्छा सामान्य कल्याण और सामान्य हित की भावना है जबकि बहुमत की इच्छा विशिष्ट इच्छाओं से भी प्रभावित या निर्देशित हो सकती है ।

"" मानव स्वतन्त्र पैदा हुआ है लेकिन वह हर स्थान पर जंजीरों से जकड़ा हुआ यह वाक्य किस विद्वान का है ?

रूसो का ।

हॉब्स और रूसो के सामाजिक समझौते में सबसे प्रमुख समानता क्या है ?

रूसो के सामाजिक समझौते में भी हॉब्स के समान व्यक्ति अपनी समस्त शक्तियों का समर्पण कर देता है ।

हॉब्स और रूसो के सामाजिक समझौते में प्रमुख अन्तर क्या है ?

हॉब्स के समझौते में शासन की शक्तियाँ एक व्यक्ति को सौंपी जाती हैं , जबकि रूसो के समझौते में शासन की शक्तियाँ सम्पूर्ण समाज को प्राप्त होती हैं ।

रूसो की संप्रभुता की पाँच विशेषताएँ बताइए ।

( 1 ) एकता , ( 2 ) अविभाज्यता , ( 3 ) अदेयता , ( 4 ) अप्रतिनिधित्वता , तथा ( 5 ) सर्वोच्चता एवं निरंकुशता ।

बेन्थम से सम्बंधित प्रश्न

प्राकृतिक अधिकारों पर बैंथम के विचार क्या हैं ?

बैंथम प्राकृतिक अधिकारों को ' आध्यात्मिक विभ्रम और प्रमाद का एक गड़बड़ घोटाला ' कहता है । वह कहता है कि जिस अधिकार को भंग करने पर किसी प्रकार का दण्ड न मिले , वह व्यर्थ है ।

अंग्रेजी न्याय प्रणाली के बारे में बेन्थम का क्या विचार था ?

बेन्थम के अनुसार ( 1 ) न्याय सस्ता होना चाहिए तथा बिना विलम्ब के प्राप्त होना चाहिए । ( 2 ) न्यायाधीशों को निरंकुशता से बचाने के लिए जूरी प्रणाली को लागू किया जाना चाहिए ।

बेंथम द्वारा प्रतिपादित ' सुखवादी मापनयंत्र ' क्या है ?

बेंथम ने सुख और दुःख को मापने के लिए सुखवादी मापनयंत्र का प्रयोग किया है , जिसमें छः बातों पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया गया है तीव्रता , अवधि , निश्चितता , निकटता या दूरी , उत्पादकता और विशुद्धता ।

बेन्थम द्वारा प्रतिपादित जेल सुधारों का उल्लेख कीजिए ।

जेलों को ' बन्दीगृह मानव निर्माण केन्द्रों ' का रूप प्रदान किया जाए । बन्दीगृहों में कैदियों को उपयोगी व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाए । जेलों में बन्दियों के साथ मानवीय व्यवहार होना चाहिए ।

बेन्थम की पेनोप्टिकन योजना क्या है तथा इसका क्या उद्देश्य है ?

बेन्थम की ' पेनोप्टिकन योजना ' जेल सुधार योजना है तथा इसका उद्देश्य अपराधियों के दैनिक जीवन को व्यवस्थित करना है ।

बेन्थम के विचारों के अनुसार सुख का मापक क्या है ?

बेन्थम के विचारों के अनुसार सुख का मापक उपयोगिता है ।

उपयोगितावाद से क्या आशय है ?

उपयोगिता को ही मानवीय जीवन का आधार मानकर जिस राजनीतिक दर्शन की सृष्टि की गयी है , उसे ही उपयोगितावाद कहते हैं ।

बेंथम के उपयोगितावाद के कोई दो आधारभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए ।

( i ) उपयोगितावाद सुखवाद के सिद्धान्त पर आधारित है । ( ii ) राज्य का कार्य अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख की साधना है ।

बेन्थम के अनुसार प्रकृति ने मनुष्य को किन दो सर्वोच्च प्रभुओं के अधीन रखा है ?

सुख तथा दुःख ।

बेन्थम के अनुसार सुख व दुःख के कितने प्रकार हैं ?

बेन्थम के अनुसार सुख व दु : ख के दो प्रकार हैं — प्रथम , सामान्य अर्थात् सरल और द्वितीय , जटिल ।

बेन्थम के अनुसार सुख - दुःख के स्रोत कौनसे हैं ?

( i ) प्राकृतिक स्रोत , ( ii ) राजनीतिक अथवा कानूनी स्रोत , ( iii ) नैतिक स्रोत , ( iv ) सामाजिक या लौकिक स्रोत , ( v ) धार्मिक स्रोत ।

बेन्थम ने सुख और दुःख को मापने की जिस पद्धति का प्रतिपादन किया है , उसे क्या कहते हैं ?

आनन्द मापक पद्धति ।

बेन्थम के अनुसार प्रकृति ने मानव को किन दो महत्वपूर्ण स्वामियों के शासन में रखा हैं ?

सुख और दुःख ।

बेन्थम द्वारा बतलाई गई ' आनन्द मापक पद्धति के आधार बतलाइए ।

आनन्द मापक पद्धति के छ : आधार हैं — तीव्रता , अवधि , निश्चितता , निकटता या दूरी , उत्पादकता और विशुद्धता ।

बेन्थम ने किस प्रकार के अधिकारों का खण्डन किया है ?

बेन्थम ने प्राकृतिक अधिकारों का खण्डन किया है ।

उपयोगितावाद को राज्य के द्वारा किस रूप में अपनाया जा सकता है ?

अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम हित के सिद्धान्त के रूप में ।

बेन्थम के अनुसार सर्वश्रेष्ठ शासन पद्धति कौनसी है ?

बेन्थम के अनुसार जनतन्त्र ही श्रेष्ठ शासन पद्धति है ।

बेन्थम के दण्ड सम्बन्धी विचार लिखिए ।

( 1 ) दण्ड देने में नागरिकों में भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए । ( 2 ) दण्ड सार्वजनिक कल्याण की दृष्टि से दिया जाना चाहिए । ( 3 ) दण्ड सदैव अपराध के अनुपात में दिया जाना चाहिए । ( 4 ) दण्ड को जन भावनाओं के विरुद्ध नहीं दिया जाना चाहिए ।

बेन्थम की प्रमुख देन क्या है ?

बेन्थम की सर्वप्रथम देन एक दार्शनिक सम्प्रदाय के रूप में उपयोगितावाद की स्थापना और उसे वैज्ञानिक रूप प्रदान करना है ।

बेन्थम की विचारधारा के कोई दो दोष बताइए ।

( i ) मनोवैज्ञानिक व नैतिक आधार त्रुटिपूर्ण , ( ii ) राज्य और समाज के सम्बन्ध में त्रुटिपूर्ण धारणा ।

अंग्रेजी न्याय प्रणाली ( ब्रिटेन ) के बारे में बेन्थम के क्या विचार हैं ?

( 1 ) न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी योग्यता , निष्ठा एवं चरित्र के आधार पर की जानी चाहिए । ( 2 ) न्याय सस्ता होना चाहिए तथा बिना विलम्ब के प्राप्त होना चाहिए । ( 3 ) न्यायाधीश की निरंकुशता से बचने के लिए जूरी प्रणाली को लागू किया जाना चाहिए ।

बैंथम की राजनीतिक चिन्तन के क्षेत्र की कोई दो प्रमुख देनें बताइए ।

( 1 ) उपयोगितावाद की सम्पूर्ण बिखरी व अव्यवस्थित विचारधारा को व्यवस्थित , शास्त्रीय , सैद्धान्तिक एवं प्रभावशाली रूप देने का श्रेय बैंथम को ही जाता है । ( 2 ) बैंथम के अनुसार राज्य का प्रमुख उद्देश्य अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख ही है जिसके आधार पर ही राज्य अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है ।

जॉन स्टुअर्ट मिल से सम्बंधित प्रश्न

जॉन स्टुअर्ट मिल द्वारा रचित दो प्रमुख ग्रन्थों के नाम बताइए ।

( 1 ) ऑन लिबर्टी ( On Liberty ) , ( 2 ) यूटिलिटेरियेनिज्म ( Utilitarianism )

मिल द्वारा प्रतिपादित स्वतंत्रता के प्रकारों का उल्लेख कीजिए ।

मिल ने अपनी पुस्तक ' On Liberty ' में स्वतन्त्रता के दो प्रकारों पर ही बल दिया है— ( 1 ) विचार एवं भाषण की स्वतन्त्रता ; तथा ( 2 ) कार्यों की स्वतन्त्रता ।

जे.एस. मिल द्वारा वर्णित कार्य की स्वतंत्रता के दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए ।

( 1 ) स्व विषयक कार्य , ( 2 ) पर - विषयक कार्य ।

मिल का उपयोगितावाद , बेन्थम के उपयोगितावाद से किस प्रकार अलग है ?

( 1 ) बेन्थम मात्रा पर अधिक बल देता था जबकि मिल ने गुण पर ही अधिक बल दिया है । ( 2 ) बेन्थम का अधिकतम व्यक्तियों के हित का सिद्धान्त राजनीतिक पृष्ठभूमि रखता था जबकि मिल का वह सिद्धान्त नैतिकता पर बल देता था ।

मिल के स्वतन्त्रता पर दो प्रमुख विचार बताइए ।

( 1 ) विचारों एवं विवाद की निर्बाध स्वतन्त्रता होनी चाहिए । ( 2 ) आरोपित विश्वास स्वतन्त्रता नहीं है ।

जे.एस. मिल द्वारा प्रस्तावित विभिन्न अमर्यादित स्वतन्त्रताएँ कौनसी है ?

( 1 ) अन्त : करण की स्वतन्त्रता , ( 2 ) विचारों व चेतना की स्वतन्त्रता , ( 3 ) प्रकाशन की स्वतन्त्रता , ( 4 ) व्यवसाय ( कार्य ) की स्वतन्त्रता , ( 5 ) दूसरों से मिलकर उन कार्यों को करने की स्वतन्त्रता जिनसे दूसरों को हानि नहीं पहुँचती है ।

स्वपरक व दूसरों को प्रभावित करने वाले कार्यों में क्या भेद है ?

स्वपरक कार्यों से अन्य व्यक्ति प्रभावित नहीं होते अत : इन पर राज्य द्वारा कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाना चाहिए तथा दूसरों को प्रभावित करने वाले कार्यों पर राज्य द्वारा हस्तक्षेप किया जा सकता है ।

मिल द्वारा बेन्थम के उपयोगितावाद में जो संशोधन किया गया , उनमें से किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए ।

( i ) सुख के आन्तरिक स्रोत को स्वीकार करना , तथा ( ii ) मानव जीवन का लक्ष्य अन्य व्यक्तियों का सुख ।

कार्य की स्वतन्त्रता के सम्बन्ध में मिल का क्या विचार था ?

मिल के अनुसार कार्य की स्वतन्त्रता मानव जीवन के सुख का एक मुख्य तत्व है । साथ ही वैयक्तिक एवं सामाजिक प्रगति का भी आवश्यक तत्व है ।

मिल ने मानव कार्यों को कितने भागों में विभाजित किया है ?

दो भागों में ( i ) स्व - विषयक तथा ( ii ) पर - विषयक ।

मिल द्वारा उल्लिखित स्व - विषयक या आत्म - विषयक कार्य बताइए ।

स्व - विषयक या आत्म - विषयक कार्य मानव के वे कार्य हैं जो व्यक्ति के निजी कार्य हैं । यह कार्य व्यक्ति के स्वयं तक सीमित रहते है , जैसे - वह क्या खाता है ? क्या पहनता है ?

मिल द्वारा उल्लिखित अन्य - विषयक या पर - विषयक कार्य बताइए ।

व्यक्ति के ऐसे कार्य जो समाज के अन्य लोगों को प्रभावित करते हैं , पर - विषयक कार्य कहलाते हैं । ये वे कार्य हैं जिनका समाज पर प्रभाव पड़ता है ।

जे.एस. मिल द्वारा बताए गए राज्य लेदो कार्य लिखिए ।

( 1 ) राज्य की उत्पत्ति का आधार ' व्यक्तियों की इच्छा ' को माना है । ( 2 ) राज्य का कार्य व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में सहायता देना तथा ऐसी बाधाओं को समाप्त करना है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में बाधक हो ।

मिल के स्वतन्त्रता सिद्धान्त की कोई दो आलोचनाओं का उल्लेख कीजिए ।

( i ) मनुष्य सदैव अपने हितों का सर्वोत्तम निर्णायक नहीं है । ( ii ) विचार स्वातन्त्र्य सम्बन्धी धारणा दुराग्रहपूर्ण और असन्तुलित है ।

मिल ने सनकियों तक के लिए स्वतन्त्रता की वकालत क्यों की ?

मिल के अनुसार सत्य कभी एक पक्ष पर आधारित नहीं होता , हो सकता है कि सनकी जो विचार व्यक्त कर रहा हो , वह सही हो । अत : सत्य का अन्वेषण तभी हो सकता है जब सभी के विचारों को स्वतन्त्रतापूर्वक सुना जाए , समझा जाए ।

मिल अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने के लिए किस पद्धति को अपनाने का सुझाव देता है ?

उसने आनुपातिक प्रतिनिधित्व ' की पद्धति या हेयर प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया है ।

बहुल या गुणात्मक मतदान से जे.एस. मिल का क्या आशय है ?

बुद्धिमान , शिक्षित तथा उच्च गुणों वाले व्यक्तियों को एक से अधिक वोट देने का अधिकार देना ही बहुल या गुणात्मक मतदान होता है ।

प्रतिनिध्यात्मक शासन के सम्बन्ध में मिल के तीन सुझाव बतलाइए ।

( i ) आनुपातिक प्रतिनिधित्व , ( ii ) महिला मताधिकार , ( iii ) सार्वजनिक या खुला मतदान ।

मिल ने एक प्रतिनिधि सरकार में किन आवश्यक तत्वों को लिया है ? ( कोई दो ) ।

( i ) सम्पूर्ण लोगों का सरकार के कार्यों में सहयोग करना । ( ii ) सम्प्रभुता को संविधान में स्थान देना ।

मिल ने व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में किन तत्वों को बाधक माना है ?

मिल ने सामाजिक परम्पराएँ , रीति - रिवाज और रूढ़ियों को व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में बाधक माना है ।

मिल सांसदों को वेतन देने का क्यों विरोध करता है ?

मिल सांसदों को वेतन का इसलिए विरोध करता है कि वे ( सांसद ) आर्थिक स्वार्थों से ऊपर उठकर अपने सार्वजनिक कर्तव्यों का पालन कर सकें , इस कार्य को व्यवसाय न बनने दें एवं केवल जनहितकारी कार्य ही करें ।

कार्ल मार्क्स से सम्बंधित प्रश्न

मार्क्स के अनुसार राज्य ।

मार्क्स राज्य को पूंजीवादी राज्य की संज्ञा देता है और उसको परिभाषित करते हुए कहता है कि "" राज्य एक ऐसी चीज है जिसके माध्यम से प्रशासक वर्ग की इच्छा बाकी वर्गों पर लादी जाती है । "" मार्क्स ने राज्य को समाप्त करने की बात कही है । वह वर्गविहीन और राज्यविहीन समाज की स्थापना करना चाहता है ।

मार्क्स के धर्म सम्बन्धी विचार समझाइए ।

मार्क्स के अनुसार धर्म जनता के शोषण का एक साधन है । व्यक्ति धर्म के अंधविश्वासों के अधीन होकर मानवता विरोधी कार्य तक कर बैठता है । वर्तमान समय की शोचनीय दशा के लिए बहुत कुछ सीमा तक धर्म ही उत्तरदायी है ।

मार्क्स के अनुसार सर्वहारा ' कौन है ?

मार्क्स ने सर्वहारा मजदूर वर्ग को कहा है । मार्क्स के मत में वर्ग - संघर्ष में पूँजीवाद का नाश हो जाएगा और सर्वहारा वर्ग का अधिनायकवाद स्थापित हो जाएगा जिसमें मजदूरों को योग्यतानुसार काम और काम के अनुसार वेतन दिया जाएगा ।

द्वन्द्वात्मक पद्धति के तीन अंग कौन - से हैं ?

( 1 ) वाद , ( 2 ) प्रतिवाद , तथा ( 3 ) संवाद ।

मार्क्स ने धर्म को अफीम के रूप में क्यों इंगित किया है ?

मार्क्स ने धर्म को अफीम के रूप में इसलिए इंगित किया है कि धर्म जनता के शोषण का एक साधन है जिसे खाकर जनता विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने के बजाय पतन के गर्त में पड़ी ऊँघती रहती है तथा व्यक्ति धर्म के अंधविश्वासों के अधीन होकर मानवता विरोधी कार्य तक कर बैठता है । इस कारण वर्तमान समय की शोचनीय दशा के लिए बहुत कुछ सीमा तक धर्म उत्तरदायी है ।

मार्क्स की रचनाओं पर पड़े प्रमुख प्रभावों का उल्लेख कीजिए ।

( 1 ) हीगल के दर्शन विशेषकर उसकी द्वन्द्ववादी पद्धति का प्रभाव , ( 2 ) ब्रिटिश समाजवादियों तथा अर्थशास्त्रियों की विचारधारा का प्रभाव , ( 3 ) फ्रेंच समाजवादी सेण्ट साइमन , चार्ल्स फोरियर तथा केबेट की विचारधारा का प्रभाव ।

कार्ल मार्क्स के चार प्रमुख सिद्धान्तों के नाम लिखिए ।

( 1 ) द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धान्त , ( 2 ) ऐतिहासिक भौतिकवाद का सिद्धान्त , ( 3 ) वर्ग - संघर्ष का सिद्धान्त , तथा ( 4 ) अतिरिक्त मूल्य का सिद्धान्त ।

' इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या ' में मार्क्स द्वारा दर्शायी गई विकास की विभिन्न अवस्थाओं को बताइए ।

( a ) आदिम साम्यवादी अवस्था , ( 2 ) दास अवस्था , ( 3 ) सामन्ती अवस्था , ( 4 ) पूँजीवादी अवस्था , ( 5 ) सर्वहारा वर्ग के अधिनायकवाद की अवस्था , तथा ( 6 ) साम्यवादी अवस्था ।

प्लेटो और मार्क्स द्वारा दी गई साम्यवाद की अवधारणा की एक मूलभूत भिन्नता को चिह्नित कीजिए ।

प्लेटो का साम्यवाद आध्यात्मिक साम्यवाद है जबकि मार्क्स का साम्यवाद वैज्ञानिक साम्यवाद है ।

मार्क्स की वर्ग - व्याख्या के अनुसार इतिहास क्या है ?

मार्क्स के अनुसार अब तक का सारा मानव इतिहास वर्ग - संघर्ष का इतिहास है । इतिहास के प्रत्येक युग में दो परस्पर विरोधी वर्ग , शोषक वर्ग व शोषित वर्ग रहे हैं ।

अतिरिक्त मूल्य के सिद्धान्त से क्या तात्पर्य है ? अथवा मार्क्स के अनुसार अतिरिक्त मूल्य क्या है ?

मार्क्स के अनुसार पूँजीवादी व्यवस्था में मजदूर अपनी श्रम शक्ति बेचकर मजदूरी प्राप्त करता है । मजदूर अपनी मजदूरी से ज्यादा काम करता है तथा अधिक मूल्य पैदा करता है । मजदूर द्वारा प्राप्त मजदूरी और किये गये कार्य के मूल्य का अन्तर ही अतिरिक्त मूल्य है ।

मार्क्स के विचारों का मूल आधार क्या है ?

द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद मार्क्स के विचारों का मूल आधार है

मार्क्स ने द्वन्द्वात्मक प्रणाली को किससे ग्रहण किया था ?

मार्क्स ने द्वन्द्वात्मक प्रणाली को हीगल से ग्रहण किया था ।

मार्क्स के अनुसार द्वन्द्वात्मक प्रक्रिया के तीन स्तरों का उल्लेख कीजिए । अथवा द्वन्द्वात्मक पद्धति के तीन अंग कौनसे हैं ?

मार्क्स के अनुसार द्वन्द्वात्मक प्रक्रिया के तीन स्तर हैं वाद , प्रतिवाद और संवाद ।

मार्क्स द्वारा रचित कोई दो पुस्तकों के नाम लिखिए ।

( i ) दास कैपिटल , ( ii ) साम्यवादी घोषणा पत्र ।

कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित वर्ग की धारणा को परिभाषित कीजिए ।

मार्क्स के अनुसार आर्थिक हितों के आधार पर वर्गों का निर्माण , पतन और पुन निर्माण होता है । सामान्य आर्थिक हितों वाले व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह अपन आपको एक वर्ग में संगठित कर लेते हैं । यही वर्ग कहलाता है ।

वर्ग संघर्ष के सिद्धान्त से क्या तात्पर्य है ?

समाज उत्पादन के आधार पर दो वर्गों में बँटा होता है- ( 1 ) साधन सम्पन्न वर्ग और ( 2 ) साधनहीन वर्ग । पहला वर्ग दूसरे वर्ग का शोषण करता है । इस कारण दोनों वर्गों में संघर्ष होता है परिणाम स्वरूप नये समाज की रचना होती है ।

मार्क्स के वर्ग संघर्ष के सिद्धान्त की कोई दो आलोचनाएँ लिखिए ।

( i ) यह मध्यम वर्ग की उपेक्षा करता है । ( ii ) इसमें गैर आर्थिक तथा राष्ट्रीय तत्वों की उपेक्षा की गई है ।

पूँजीवादी राज्य में पाये जाने वाले किन्दी दो तत्वों का उल्लेख कीजिए ।

( i ) यह बुर्जुआ की कार्यकारिणी समिति है । ( ii ) राज्य शक्ति और हिंसा पर आधारित है ।

हीगल और कार्ल मार्क्स के द्वन्द्ववाद में क्या अन्तर है ?

हीगल के द्वन्द्ववाद में विचार की प्रधानता है , कार्ल मार्क्स के द्वन्द्ववाद में भौतिकता या पदार्थ की प्रधानता है ।

द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का आशय क्या है ?

सृष्टि का विकास द्वन्द्वात्मक प्रक्रिया के आधार पर हुआ है और इस विकास का मूल तत्व ' भौतिकता ' या पदार्थ है ।

मार्क्स ने धर्म को किसकी संज्ञा दी है ?

मार्क्स धर्म को अफीम की गोली कहता है ।

किस विचारक को क्रांतियों का दार्शनिक कहा जाता है , और क्यों ?

कार्ल मार्क्स को क्रांतियों का दार्शनिक कहा जाता है क्योंकि वह एक साम्यवादी समाज की स्थापना चाहता है ।

कार्ल मार्क्स के वर्गविहीन राज्यविहीन समाज की विशेषताएँ लिखिए ।

ऐसे समाज में धर्म , जाति , रंग तथा धन के आधार पर भेदभाव नहीं होगा । काम करने के अयोग्य व्यक्तियों के लिए सामाजिक सहायता की व्यवस्था होगी ।

हैरोल्ड जोसेफ लास्की से सम्बंधित प्रश्न

कल्याणकारी राज्य के लिए लास्की के दो तर्कों का उल्लेख कीजिए ।

( 1 ) राज्य की सत्ता विकेन्द्रित हो , जिससे जनता राज्यों के मामलों में अधिकाधिक रुचि ले और सत्ता के स्थानीय केन्द्रों पर पर्याप्त नियन्त्रण रख सके , ( 2 ) राज्य अन्य समुदायों के आन्तरिक जीवन में उस समय तक कोई हस्तक्षेप न करे , जब तक कोई समुदाय राज्य को ही बलपूर्वक नष्ट करने की धमकी न दे ।

बहुलवाद पर लास्की के विचार बताइए ।

लास्की कहता है कि चूँकि समाज संघात्मक है अतः सत्ता भी संघात्मक होनी चाहिए । वे राज्यों को सर्वोच्च सत्ता का एकमात्र उपभोक्ता नहीं मानते हैं । उनके विचार में समुदायों का भी अपना व्यक्तित्व व इच्छा होती है । राज्य समुदायों का समुदाय है ।

लास्की के बहुलवाद की दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।

( 1 ) प्रभुसत्ता का सिद्धान्त असत्य , अवास्तविक और अयुक्तिपूर्ण , ( 2 ) राज्य और सरकार को एक समझना ।

' लिबर्टी इन दि मॉडर्न स्टेट'का लेखक कौन था ?

एच.जे. लास्की ।

लास्की द्वारा लिखित दो पुस्तकों के नाम लिखिए ।

( 1 ) ए ग्रामर ऑफ पॉलिटिक्स , ( 2 ) डेमोक्रेसी इन क्राइसिस ।

लास्की ने बहुलवादी सिद्धान्त का विवेचन अपने किस ग्रन्थ में किया है ?

' ग्रामर ऑफ पोलिटिक्स ' में ।

लास्की के दो प्रमुख योगदान बताइए ।

( 1 ) व्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धान्त का प्रतिपादन । ( 2 ) राज्य सम्बन्धी व्यवहारवादी धारणाओं का विकास ।

लास्की किस प्रकार के समाजवाद के समर्थक थे ?

लास्की लोकतान्त्रिक समाजवाद के समर्थक और प्रतिपादक थे ।

सम्प्रभुता के सम्बन्ध में लास्की की धारणा को परिभाषित कीजिए ।

लास्की के अनुसार कोई भी राज्य अपने नागरिकों पर असीमित एवं निरंकुश शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता । लास्की सम्प्रभुता को आन्तरिक और बाह्य दोनों दृष्टियों से सीमित मानता है ।

लास्की ने सम्प्रभुता की किस अवधारणा का प्रतिपादन किया है ?

सम्प्रभुता की बहुलवादी अवधारणा का प्रतिपादन लास्की ने किया है ।

लास्की ने सम्प्रभुता सम्बन्धी विचारों की किस आधार पर आलोचना की है ?

( 1 ) नैतिक दृष्टि से , ( ii ) कानून एवं अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण से ।

लास्की के अनुसार तीन स्वतन्त्रताएँ बताइए ।

( i ) व्यक्तिगत स्वतन्त्रता , ( ii ) राजनीतिक स्वतन्त्रता , ( iii ) आर्थिक स्वतन्त्रता ।

लास्की के अनुसार अधिकार से क्या आशय है ?

लास्की के अनुसार , “ अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियाँ हैं , जिनके अभाव में सामान्यतया कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास नहीं कर सकता है

लास्की के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीयता के विकास में बाधक तत्व कौनसे हैं ?

( i ) उपनिवेशवाद और ( ii ) साम्राज्यवाद ।

राजनीतिक दर्शन के विकास में लास्की का क्या योगदान रहा ? कोई दो बिन्दु लिखिए ।

राज्य सम्बन्धी व्यवहारवादी धारणाओं का विकास , ( ii ) व्यक्ति की स्वतन्त्रता के सिद्धान्त का प्रतिपादन ।

लास्की के अनुसार राजनीतिक स्वतन्त्रता क्या है ?

लास्की के अनुसार राज्य के मामलों में सक्रिय हो पाने की शक्ति ही राजनीतिक स्वतन्त्रता है ।

व्यक्तिगत और राजनीतिक स्वतन्त्रता की तुलना में लास्की ने किस प्रकार की स्वतन्त्रता को अधिक महत्व दिया है ?

व्यक्तिवाद और राजनीतिक स्वतन्त्रता की तुलना में लास्की ने आर्थिक स्वतन्त्रता को अधिक महत्व दिया है ।

लास्की के अनुसार एक राज्य की पहचान किससे होती है ?

लास्की के अनुसार एक राज्य की पहचान उन अधिकारों से होती है जिनकी वह व्यवस्था करता है ।

लास्की के अनुसार स्वतन्त्रता से क्या तात्पर्य है ?

लास्की के अनुसार स्वतन्त्रता का तात्पर्य यह है कि उन सामाजिक परिस्थितियों के अस्तित्व पर प्रतिबन्ध न हो जो आधुनिक सभ्यता में मनुष्य के सुख के लिए नितान्त आवश्यक हैं ।

स्वतन्त्रता पर लास्की के विचार इंगित कीजिए ।

लास्की के अनुसार स्वतन्त्रता का मतलब उन बन्धनों के अभाव से है जो व्यक्ति के सुख की आवश्यक परिस्थितियाँ निश्चित करते हैं । वह राज्य के कानूनों को व्यक्तिगत स्वतन्त्रता में बाधक मानता है । स्वतन्त्रता की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि राज्य अपने कार्यक्षेत्र को सीमित करे । स्वतन्त्रता तभी हो सकती है जब समाज के सर्वोच्च उद्देश्य को ध्यान में रखा जाए ।

लास्की का सम्पत्ति की वर्तमान व्यवस्था के सम्बन्ध में क्या विचार है ?

लास्की के अनुसार वर्तमान समय में सम्पत्ति की जो व्यवस्था है वह मनोवैज्ञानिक , नैतिक और आर्थिक दृष्टि से नितान्त अपूर्ण है ।

लास्की के सम्पत्ति सम्बन्धी विचार क्या हैं ?

( 1 ) लास्की के अनुसार ऐसे राज्य जहाँ सम्पत्ति कुछ व्यक्तियों के हाथों में केन्द्रित होती है , सम्पत्तिहीन व्यक्तियों को बहुत कम अधिकार प्राप्त हो पाते हैं । ( 2 ) लास्की के अनुसार मनुष्य को इतनी सम्पत्ति रखने का अधिकार है , जितनी उसके व्यक्तित्व के सर्वोत्तम विकास के लिए आवश्यक है । अधिकार के साथ कर्त्तव्य भी निहित हैं । यदि व्यक्ति न्यूनतम सम्पत्ति के लिए अधिकारी है , तो उसको न्यूनतम उत्पादन भी करना होगा ।

लास्की ने किन विचारों की व्याख्या की है ?

लास्को ने बहुलवाद , प्रजातन्त्र , अन्तर्राष्ट्रीयता , स्वतन्त्रता और समानता तथा अधिकार आदि की व्याख्या की है ।

लास्की के अनुसार एकत्ववादी सम्प्रभुता के स्थान पर क्या आना चाहिए ?

लास्की के अनुसार एकत्ववादी सम्प्रभुता के स्थान पर बहुलवादी ( संघात्मक ) सम्प्रभुता आनी चाहिए ।

लास्की के अनुसार न्यायपूर्ण आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्या किया जाना चाहिए ?

लास्की के अनुसार न्यायपूर्ण आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत स्वामित्व को समाप्त कर उन पर सामूहिक नियन्त्रण स्थापित किया जाना चाहिए ।

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