वायुदाब Important One Liners Notes In HIndi

वायुदाब Important One Liners Notes In HIndi

स्थल या सागर के प्रति इकाई क्षेत्र में वायु जो भार डालती है उसे वायुदाब कहते हैं।

सागर तल पर वायुदाब अधिकतम होता है। किसी भी स्थान पर वायुदाब दो बार बढ़ता है एवं दो बार घटता है। इसे वायुदाबमापी (Barometer) से मापा जाता है।

वर्तमान समय में वायुदाब मापने के लिए फोर्टिन एवं एवीरॉयड बैरोमीटर का प्रयोग किया जाता है।

जलवायु वैज्ञानिकों ने इसके लिए मिलीबार/ हैक्टोपास्कल को इकाई माना है जो 1 मिलीबार/ वर्ग सेमी. पर 1 ग्राम भार का बल के बराबर है।

एक हजार मिलीबार का वायुमंडलीय दबाव एक वर्ग सेमी. 1.053 किग्रा भार है जो पारे के 75 सेमी. ऊँचे स्तंभ दबाव के बराबर होता है।

समुद्रतल पर पारे के 70 सेमी. ऊँचे स्तंभ का वायुदाब 1012.25 मिलीबार होता है।

वायुदाब और इसके वितरण को नियन्त्रित करने वाले प्रमुख कारक तापमान, समुद्र तल से ऊँचाई, पृथ्वी की घूर्णन गति तथा जलवाष्प हैं।

वायुदाब की पेटियाँ ( Pressure Belts) - वायुमण्डलीय दाब के अक्षांशीय वितरण को वायुदाब का क्षैतिज वितरण कहते हैं। इसके कारण वायुदाब की पेटियों का निर्माण होता है।

वायुदाब की पेटियाँ दो प्रकार की हैं - (i) ताप जनित तथा (ii) गति जनित

पृथ्वी के धरातल पर विद्यमान वायुदाब की पेटियों का विवरण निम्नानुसार है-

1. विषुवतरेखीय निम्न वायुदाब की पेटी (Equatorial Low Pressure Belt ) - विषुवत् रेखा से 10 डिग्री उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के मध्य यह एक ताप जनित पेटी है। यहाँ साल भर तापमान ऊंचा रहता है। अतः वायुदाब कम रहता है। यहाँ वायुमण्डल में संवहन धाराएँ उत्पन्न होती हैं तथा वायु का क्षैतिज रूप से प्रवाह नहीं होता है इसलिए इसे शान्त पेटी (डोलड्रम) कहते हैं।

2. उपोष्ण उच्च वायुदाब की पेटियाँ (Sub Tropical High Pressure Belts)- कर्क और मकर रेखाओं से लगभग 35 डिग्री उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के मध्य ये दो पेटियाँ स्थित हैं। यह पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न वायुदाब की पेटियाँ हैं। विषुवत् रेखा से उठी हुई पवनें इस पेटी में नीचे उतरती हैं। इसी प्रकार उपध्रुवीय क्षेत्रों से पवनें इस पेटी में उतरती हैं, फलतः यहाँ वायुदाब बढ़ जाता है। विषुवत रेखा से 30° से 35° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलाद्धों में उच्च वायुदाब की पेटियाँ उपस्थित होती हैं। इस उच्च वायुदाब वाली पेटी को अश्व अक्षांश कहते हैं।

3. उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की पेटियाँ (Sub - Polar Low Pressure Belts) - यह गति जनित वायुदाब की पेटियाँ आर्कटिक और अण्टार्कटिक वृत्तों से 45 डिग्री उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों तक विस्तृत हैं।

4. ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटियाँ (Polar High Pressure Belts) - ध्रुवों के निकट निम्न तापमान के कारण वायुदाब सदैव उच्च रहता है। अत: दोनों गोलार्द्ध में स्थित ये पेटियाँ ताप जनित हैं।

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