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विधायी शक्ति
संविधान के अनुसार भारतीय संसद संघीय सूची , समवर्ती सूची , अवशिष्ट विषयों और कुछ परिस्थितियों में राज्य सूची के विषयों पर कानून का निर्माण कर सकती है ।
संविधान के द्वारा साधारण अवित्तीय विधेयकों और संविधान संशोधन विधेयकों के सम्बन्ध में कहा गया है कि इस प्रकार के विधेयक लोकसभा या राज्यसभा दोनों में से किसी भी सदन में प्रस्तावित किये जा सकते है और दोनों सदनों से पारित होने पर ही राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजे जायेंगे ।
वित्तीय शक्ति
अनुच्छेद 109 के अनुसार धन विधेयक लोकसभा में ही प्रस्तावित किये जा सकते हैं , राज्यसभा में नहीं ।
लोकसभा से पारित होने के बाद धन विधेयक राज्यसभा में भेजा जाता है और राज्यसभा के लिए आवश्यक है कि उसे धन विधेयक की प्राप्ति की तिथि से 14 दिन के अन्दर - अन्दर विधेयक लोकसभा को लौटा देना होगा ।
राज्यसभा विधेयक में संशोधन के लिए सुझाव दे सकती है , लेकिन उन्हें स्वीकार करना या न करना लोकसभा की इच्छा पर निर्भर करता है ।
कार्यपालिका पर नियन्त्रण की शक्ति
संविधान के अनुसार संघीय कार्यपालिका अर्थात् मन्त्रिमण्डल संसद ( व्यवहार में लोकसभा ) के प्रति उत्तरदायी होता है ।
मन्त्रिमण्डल केवल उसी समय तक अपने पद पर रहता है जब तक कि उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त हो ।
संविधान संशोधन सम्बन्धी शक्ति
लोकसभा को राज्यसभा के साथ मिलकर संविधान में संशोधन - परिवर्तन का अधिकार भी प्राप्त है ।
संविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार संविधान के अधिकांश भाग में संशोधन का कार्य अकेली संसद के द्वारा ही किया जाता है ।
निर्वाचक मण्डल के रूप में कार्य
लोकसभा निर्वाचक मण्डल के रूप में भी कार्य करती है ।
अनुच्छेद 54 के अनुसार लोकसभा के निर्वाचित सदस्य राज्यसभा के निर्वाचित सदस्यों तथा राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के साथ मिलकर राष्ट्रपति को निर्वाचित करते हैं ।
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