न्यूटन का गति का तृतीय नियम (Newton's Third Law Of Motion)

Newton's Third Law Of Motion

इस नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया की , परिमाण में समान परन्तु दिशा में विपरीत प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है । इसे क्रिया - प्रतिक्रिया का नियम भी कहते हैं । प्रथम वस्तु द्वारा द्वितीय वस्तु पर लगाया गया बल क्रिया कहलाता है और द्वितीय वस्तु द्वारा प्रथम वस्तु पर लगाया गया बल प्रतिक्रिया कहलाता है । इस नियम को गणितीय रूप में निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते हैं -

F21 = -F12          . . . . (1)

यहाँ पर F12 ( प्रतिक्रिया ) प्रथम वस्तु पर द्वितीय वस्तु द्वारा लगाया गया बल तथा F21 ( क्रिया ) द्वितीय वस्तु पर प्रथम वस्तु द्वारा लगाया गया बल है । यहाँ पर ऋणात्मक चिन्ह विपरीत दिशा को प्रदर्शित करता है । इन दोनों बलों में से एक को क्रिया एवं दूसरे को प्रतिक्रिया बल कहते हैं ।

इस नियम के महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित

( 1 )किसी भी साधन द्वारा लगाया गया बल क्रिया तथा उसके कारण अनुभव किया गया बल प्रतिक्रिया बल कहलाता है ।

( 2 )यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि कौनसा क्रिया बल है तथा कौनसा उसका प्रतिक्रिया बल है । केवल यह कहा जा सकता है कि इन दोनों बलों में से एक क्रिया बल है और दूसरा इसका प्रतिक्रिया बल है ।

( 3 ) क्रिया एवं प्रतिक्रिया बलों की उत्पत्ति दोनों वस्तुओं के सम्पकिंत होने पर अथवा उनके दूर रहने पर भी सम्भव है ।

( 4 ) क्रिया एवं प्रतिक्रिया बले सदैव अलग - अलग पिण्डों पर लगते हैं , एक पिण्ड पर नहीं , इसी कारण ये एक - दूसरे के प्रभाव को समाप्त नहीं करते और प्रत्येक बल अपना - अपना प्रभाव उत्पन्न करता है ।

( 5 ) क्रिया और प्रतिक्रिया का नियम वस्तु के स्थिर अथवा गतिशील दोनों स्थितियों में लागू होता है ।

( 6 ) क्रिया एवं प्रतिक्रिया का नियम सभी प्रकार के बलों जैसे गुरुत्वीय , वैद्युत , चुम्बकीय बल आदि में लागू होता है ।

न्यूटन की गति के तृतीय नियम के उदाहरण

( 1 )एक तैराक जब अपने हाथों से पानी को पीछे धकेल कर क्रिया करता है तो धकेला हुआ पानी तैराक को उतनी ही प्रतिक्रिया से आगे की ओर धकेल देता है ।

( 2 )जब बन्दूक चलाई जाती है , तो गोली जिस बल से आगे बढ़ती है ( क्रिया ) बन्दुक पर उतना ही बल पीछे की ओर ( प्रतिक्रिया ) लगता है ।

( 3 ) नाव खेने वाला व्यक्ति जितनी क्रिया से पानी को पीछे धकेलता है उतनी ही प्रतिक्रिया से पानी , नाव को आगे बढ़ने के लिए आवश्यक प्रतिक्रिया बल प्रदान करता है ।

( 4 )किसी धरातल पर स्थित पिण्ड का भार ( क्रिया बल ) नीचे की ओर लगता है , जबकि धरातल द्वारा प्रतिक्रिया बल R पिण्ड पर ऊपर की ओर लगता हैं ।

( 5 ) जब कोई व्यक्ति पृथ्वी पर पैदल चलता है तो वह पैर के पंजों के द्वारा तिर्यक बल F से पृथ्वी को पीछे की ओर दबाता है ( क्रिया ) । पृथ्वी भी उतना ही बल ( प्रतिक्रिया ) विपरीत दिशा में लगाती है । इस प्रतिक्रिया बल को दो समकोणिक घटकों में वियोजित किया जा सकता है । क्षैतिज घटक व्यक्ति को आगे बढ़ने में मदद करता है जबकि ऊर्ध्वाधर घटक व्यक्ति के भार को सन्तुलित करता है ।

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