Knowledge Booster - 14

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डीएनए कम्प्यूटर क्या है और इसकी क्या उपयोगिता है ?

डीएनए में छिपी अनगिनत सूचनाओं को एकत्रित करने और विभिन्न रोगों के इलाज करने के उद्देश्य से इजरायली शोध दल ने एक अति सूक्ष्म डीएनए कम्प्यूटर बनाया है. यह कम्प्यूटर इतना सूक्ष्म है कि लगभग एक अरब डीएनए कम्प्यूटर केवल एक परखनली में समा सकते हैं.
इन कम्प्यूटरों की सहायता से एक अरब ऑपरेशन एक साथ ही किए जा सकते हैं और वह भी करीब 99.8 प्रतिशत सफलता के साथ.
यह विश्व की ऐसी पहली प्रोग्रामयुक्त कम्प्यूटिंग मशीन है जिसके इनपुट आउट- पुट, सॉफ्टवेयर और यहाँ तक कि हार्डवेयर भी जैविक अणुओं से तैयार किए गए हैं. इसका प्रयोग काफी सरल है. भविष्य में इसकी मदद से मानव कोशिकाओं के अन्दर रखकर ऑपरेशन किया जा सकता है.
इन कम्प्यूटरों की सहायता से मानव अंगों के भीतर अंगों में हो रहे परिवर्तन पर भी नजर रखी जा सकती है तथा रोग के स्थान तक दवा भी पहुँचाई जा सकती है.
इस कम्प्यूटर में आँकड़े दो अणुओं में सुरक्षित रहते हैं और इसके साथ दो एंजाइम हार्डवेयर का काम करते हैं, जो सूचनाओं के कोड को पढ़ने और कॉपी करने का काम करते हैं. इन सब को जब एक टेस्ट ट्यूब में रखा जाता है, तब सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर इनपुट अणु के रूप में कार्य करते हैं और फाइनल आउटपुट निकलता है. इस डीएनए कम्प्यूटर में ऊर्जा की खपत काफी कम होती है, फलस्वरूप इसे मानव कोशिकाओं के अन्दर रखने पर कार्य के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती.

हरी धनिया, उत्तम स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार हितकर है ?

धनिया किचन की रानी कही जाती है. इसका स्वाद, महक तथा पौष्टिकता सर्वविदित है. इसमें भरपूर मात्रा में एण्टी- ऑक्सीडेन्ट, मिनरल्स, विटामिन्स, विशेषतः विटामिन 'ए' और 'सी' पाए जाते हैं.
अपनी पौष्टिकता एवं आरोग्यकारी गुणों के कारण आयुर्वेदिक दृष्टि से धनिया, रोग- क्षमता को बढ़ाती है. इसकी तासीर ठंडी है.
आँखों का लाल होना, खुजली होना, थोडी देर पढ़ाई करने या ऑफिस का काम करने पर आँखों में थकान होना शुरू हो जाए, तो आँखों को शीतल बनाने के लिए धनिया की पत्तियों को पीसकर उसका रस निकालने के बाद जो छानन बच जाए उसे आटे की लोई की तरह दोनों आँखों पर 15 से 20 मिनट रखकर लेटे रहें. इसके बाद आँखों से धनिया का पेस्ट हटा दें और आँखों में ठंडे पानी के छींटे लगाएं. यह छोटा सा उपाय नियमित रूप से करने से आँखों की थकान, लालामी, कड़वाहट दूर होकर नेत्र ज्योति बढ़ती है और बिना सपने वाली गहरी और शान्त नींद आती है वास्तव में यह छोटा, किन्तु अत्यन्त लाभकारी उपाय चश्मा हटाने में मददगार है और आँखों की रोशनी बढाने का सबसे आसान उपाय.
एक चम्मच अंकुरित मेथी और एक चम्मच अंकुरित अजवाइन को प्रातः चबा- चबाकर खाएं. इसके ऊपर ताजी हरी धनिया का 30 मिली से 50 मिली के बीच में ताजा रस आधा कप पानी में मिलाकर पी लें उसके सेवन के आधा घण्टे बाद तक कुछ सेवन ना करें और नाश्ते में केवल एक प्रकार का फल इच्छा अनुसार और भूख अनुसार खा सकते हैं डायबिटीज के कारण आँखों पर पड़ने वाले प्रभाव को नियन्त्रित करने का यह अचूक उपाय है.
प्रातः खाली पेट एक चम्मच कच्चा जीरा चबाकर खाना चाहिए. इसके ऊपर 50 मिली हरी धनिया का रस पी लें. इसके बाद थोड़ी देर के लिए आँख बन्द कर लेट जाएं शारीरिक श्रम, मेहनत न करें यह उपाय एक सप्ताह करने पर ही एसिडिटी, खट्टी- कड़वी डकारें आना, पेट में दर्द और माइग्रेन की समस्या पूरी तरह ठीक होने लगती है नियमित रूप से यह प्रयोग कम- से कम 3 माह जरूर कीजिए.

प्रश्न- क्या वायु प्रदूषण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है ?

यदि गर्भवती महिला प्रदूषित वायु में निवास करती है, तो इसका असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है. 45 शोधों की समीक्षा में यह निष्कर्ष सामने आया है. प्रदूषित वायु के कारण शिशु का वजन और कद कम हो जाता है. शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषक पीएम 2.5 और नीदरलैण्डस में पैदा हुए करीब चार हजार सिंगलटन शिशुओं के जन्म के वजन के बीच सम्बन्ध को देखा. गर्भवती महिलाओं को वायु प्रदूषण की वजह से अस्थमा हो सकता है. अगर इसका इलाज न किया जाए तो इसकी वजह से शिशु को भी अस्थमा हो सकता है.
वायु प्रदूषण से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है. ऐसा गर्भनाल में सूजन बढ़ने की वजह से होता है, जिससे भ्रूण के विकास में दिक्कतें आती हैं, प्रदूषण गर्भवती महिला के थॉयराइड को प्रभावित करता है भ्रूण विकास और मेटाबोलिज्म को नियमित करने के लिए यह बहुत जरूरी होता है.
ये प्रदूषक जिम्मेदार : 1. पीएम 2.5, पीएएचएस, बेंजीन जैसे औद्योगिक वायु प्रदूषकों से बच्चे समय पूर्व पैदा हो सकते हैं.
2. नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइ- ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) शिशु के कम वजन के लिए जिम्मेदार हैं.
3. इन सभी प्रकार के प्रदूषकों से शिशु के सिर की परिधि भी प्रभावित हो सकती है.

'जलदूत एप (JALDOOT App) ' क्या है ?

जलदूत एप को ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है. इस एप का उपयोग पूरे देश में प्रत्येक गाँव में चयनित 2-3 कुओं के जल स्तर का आकलन करने के लिए किया जाएगा. यह एप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में काम करेगा. इसलिए इंटरनेट कनेक्टिविटी के बिना भी जल स्तर का आकलन किया जा सकता है, आकलन किए गए डेटा को मोबाइल में संग्रहीत किया जाएगा एवं क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध होने पर डेटा केन्द्रीय सर्वर के साथ सिंक्रनाइज हो जाएगा. जलदूत एप द्वारा प्राप्त नियमित डेटा को राष्ट्रीय जल सूचना विज्ञान केन्द्र (NWIC) के डेटाबेस के साथ एकीकृत किया जाएगा, जिसका उपयोग हितधारकों के लाभ के लिए विभिन्न उपयोगी रिपोर्टों के विश्लेषण एवं प्रदर्शन हेतु किया जा सकता है.
यह एप देशभर में जल स्तर की जानकारी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा और परिणामी डेटा का उपयोग, ग्राम पंचायत विकास योजना तथा महात्मा गांधी नरेगा योजनाओं के लिए किया जा सकता है. एप को देशभर के गाँवों में चयनित कुओं के जल स्तर का आकलन करने के लिए लॉन्च किया गया है. जलदूत एप ग्राम रोजगार सहायक को वर्ष में दो बार प्री- मानसून और पोस्ट- मानसून के बाद कुएँ के जल स्तर को मापने की अनुमति देगा. यह एप पंचायतों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करना आसान बनाएगा जिसे बाद में कार्यों की योजना के लिए बेहतर उपयोग किया जा सकता है.

'मेथामफेटामाइन ड्रग क्या है ?

मेथामफेटामाइन ड्रग की खोज 1893 में हुई थी. इसे क्रैंक, स्पीड और मैथ के नाम से भी जाना जाता है. यह एक शक्ति- शाली और उत्तेजक नशीला पदार्थ है, जो लोगों के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. वहीं क्रिस्टल मेथामफेटामाइन एक ऐसा ड्रग है, जो शीशे की टुकड़े या चमकदार, नीली- सफेद चट्टान की तरह दिखता है. मेथामफेटामाइन का इस्तेमाल अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस- ऑर्डर (एडीएचडी) और नार्कोलेप्सी जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है.
जब यह ड्रग हमारे शरीर में प्रवेश करता है, तो यह हमारे दिमाग में डोपामाइन की मात्रा को बढ़ाता है. 'डोपामाइन' हमारे आपके दिमाग में बनने वाला एक प्राकृतिक रसायन यानी हॉर्मोन है, जो संतोष और आनन्द की भावनाओं का एहसास कराता है. इसका मतलब यह हुआ कि जब हम अपने आप को बेहद ही खुश महसूस करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क यही 'डोपामाइन' हॉर्मोन रिलीज कर रहा होता है. जब शरीर में 'डोपामाइन' का स्तर बढ़ जाता है, तो ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है और इंसान आमतौर पर उत्साहित महसूस करता है. यही कारण है कि लोगों को जल्दी ही मेथाफेटामाइन की लत लग जाती है और वह खुद को उत्साहित और ऊर्जावान रखने के लिए आदतन इसका इस्तेमाल करने लगते हैं. इसके ज्यादा इस्तेमाल से मौत भी हो सकती हैं.
एक आँकड़े के मुताबिक वर्ष 2017 में ड्रग ओवरडोज से होने वाली मौतों में से लगभग 15 प्रतिशत मौतें अकेले मेथामफेटा- माइन के कारण हुई थीं. इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमरीका स्थित रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र के मुताबिक मेथामफेटा - माइन के ओवरडोज़ से वर्ष 2019 में लगभग 16,500 से अधिक मौतें हुई थीं.

रेमन मैग्सेसे अवार्ड क्यों दिया जाता है ?

इस पुरस्कार को एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है. इसे वर्ष 1957 में शुरू किया गया था. पुरस्कार की स्थापना के पीछे फिलीपींस सरकार के साथ-साथ रॉकफेलर सोसाइटी का भी योगदान है. यह पुरस्कार ऐसे व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने अपने क्षेत्र में कुछ विशेष योगदान दिया हो और दूसरों की उदारतापूर्वक मदद की है. वर्ष 2008 तक ये पुरस्कार केवल 6 श्रेणियों सरकारी कामकाज में योगदान, समाज सेवा, सामुदायिक नेतृत्व, पत्रकारिता- शान्ति एवं अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य - कला, शान्ति एवं सद्भावना के क्षेत्र में काम करने वालों को दिया जाता है. वर्ष 2000 में इसमें एक और श्रेणी 'उभरते नेता' की जोड़ी गई.

कुर्की क्या है ?

जब किसी व्यक्ति अथवा संस्था को ऋण की जरूरत होती है, तो उस ऋण के बदले उसे अपनी कोई सम्पत्ति या जमीन गिरवी रखनी पड़ती है. इसका उद्देश्य यह होता है कि अगर वह व्यक्ति अथवा संस्था ऋण को वापस चुकाने में असमर्थ हो जाती है, तो उसकी ज़मीन या सम्पत्ति को बेच करके ऋण की रकम की वसूली की जा सके लोन देने का काम न केवल बैंक बल्कि वैध-अवैध रूप से साहूकार कमीशन एजेंट और प्राइवेट कम्पनियाँ भी करती हैं. चूँकि किसान ऋण के बदले अपनी जमीन को लेकर लिखित मंजूरी दे चुका होता है, इसलिए कर्ज न चुका पाने की स्थिति में लोन देने वाली संस्थाएं या साहूकार आदि किसानों की जमीनों की कुर्की कर लेते हैं.
कुर्की का ज़िक्र सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) 1908 की धारा 60 में किया गया है और इसी के तहत् इसकी प्रक्रिया पूरी की जाती है प्रक्रिया तब शुरू होती है जब किसान ऋण नहीं चुका पाता है और साहूकार कुर्की का ऑर्डर लेने के लिए अदालत का रुख करता है. दरअसल कुर्की की प्रक्रिया में किसान या किसी व्यक्ति द्वारा बैंक या साहूकार को जो जमीन गिरवी रखी जाती है, वह बैंक या साहूकार के नाम पर रजिस्टर्ड हो जाती है. कुछ मामलों में जमीन की नीलामी भी की जाती है. इतना ही नहीं, CPC की इस धारा 60 के तहत् जमीन के साथ-साथ ऋणी व्यक्ति के व्यावसायिक उपकरणों की भी कुर्की की जा सकती है.

इंटीग्रेटेड ओजोन डिप्लेशन (IOD) के बारे में आप क्या जानते हैं ?

शोधकर्ताओं ने ओजोन को नष्ट करने वाले पदार्थों के प्रभावों का आकलन करने के लिए एक नई विधि इंटीग्रेटेड ओजोन डिप्लेशन (आईओडी) विकसित की है. इस विधि की सबसे खास बात यह है कि यह बता सकती है कि अनियंत्रित (Unregulated) ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का ओजोन लेयर पर क्या प्रभाव डाल रही है और ओजोन लेयर को सुरक्षित करने के लिए जो कदम उठाए गए हैं वह कितने प्रभावी हैं या प्रभावी नहीं हैं. इंटीग्रेटेड ओजोन डिप्लेशन (IOD) नए उत्सर्जन का प्रभाव तीन बिन्दुओं के आधार पर बता सकता है. ये हैं-
(i) उत्सर्जन की ताकत (Strength of emissions ),
(ii) यह कितनी देर तक वातावरण में रहेगा (How long it will persist in the atmosphere) और
(iii) ओजोन कितनी रासायनिक रूप से नष्ट हो गई है (How much ozone it is expected to destroy)

मानव स्वास्थ्य के लिए 'सेब' किस प्रकार उपयोगी है ?

सेब' पोषक तत्वों से भरपूर है और स्वास्थ्य के लिए के गुणकारी है. लोग इसका उपयोग कई रूपों में करते हैं. यह आँखों के लिए बहुत उपयोगी है. सेब के सेवन से आँखों की समस्या दूर रखा जा सकता है.
सेब स्वास्थ्य के लिए तो बेहतर है ही. अब एक नई खोज से पता चला है कि सेब से मानव अंगों का भी निर्माण किया जा सकता है. कनाडा के बायोफिजिस्ट एंड्रयू पेलिंग को लगता है कि इस फल का कुछ और भी इस्तेमाल हो सकता है.
वैज्ञानिकों ने सेब के भीतर के इस हिस्से को इतना असरदार पाया कि उनमें प्रयोगशाला में जीवित कोशिकाएं पैदा की सम्भावना देखी इसमें मानव शरीर की कोशिकाएं बनाने की भी सम्भावना है.
वैज्ञानिकों ने सेब को काट-छाँट कर उसे कान जैसा आकार दिया. इसका इस्तेमाल सेल्यूलोज का 'ढाँचा' तैयार करने में किया गया ताकि मानव कोशिकाएं लैब में उगाई जा सकें और फिर उन्हें 'कान बना दिया जाए. प्रोफेसर पोलिंग ने यह बताया, यह कम लागत वाला जरिया है. आप इससे कई तरह के ढाँचे तैयार कर सकते हैं. 'रीजेनरेटिव मेडिसिन के क्षेत्र में यह कई सम्भावनाएं खोलता है.
आँखों की एलर्जी दूर करे जब आँखों में सूजन हो, लाली हो या फिर कोई इंफेक्शन हो, तो कच्चे सेब को आग में भूनकर इसकी पोटली से आँख की सिकाई करें. इससे एलर्जी और आँख की बाकी समस्याओं से निजात मिलेगी.
चाय में भी इस्तेमाल होता है सेब- कच्चे सेब के टुकड़े लेकर इसकी चाय भी बनाई जाती है. सूखने के बाद इसमें तुलसी का पत्ता, पुदीना, काली मिर्च और लौंग मिलाकर उबाल लें. ये चाय का बेहतर विकल्प है. सेब की चाय सर्दी और खाँसी में आराम देती है.

सेमीकण्डक्टर चिप क्या है ?

सेमीकण्डक्टर ऐसी सामग्री है जिसमें चालकता सुचालक और कुचालक के बीच होती है. ये शुद्ध धातु, सिलिकॉन अथवा जर्मेनियम या कोई यौगिक, गैलियम, आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड हो सकते हैं. सेमीकण्डक्टर चिप का मूल घटक सिलिकॉन का एक टुकड़ा होता है, जिसे अरबों सूक्ष्म ट्रांजिस्टर के साथ उकेरा जाता है और विशिष्ट खनिजों एवं गैसों के साथ प्रक्षेपित किया जाता है, जो विभिन्न संगणकीय निर्देशों का पालन करते हुए विद्युत् धारा के प्रवाह को नियन्त्रित करने के लिए प्रतिरूप बनाते हैं. आज के समय में उपलब्ध सबसे उन्नत अर्द्धचालक प्रौद्योगिकी नोड 3 nm और 5 m (Nanometer) वाले हैं. उच्च नैनोमीटर मान वाले अर्द्धचालक ऑटोमोबाइल उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में लगाए जाते हैं, जबकि कम मान वाले अर्द्धचालकों का उपयोग स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे उपकरणों में किया जाता है.
चिप बनाने की प्रक्रिया जटिल और बहुत सटीक है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला में कई अन्य चरण होते हैं. जैसे कि कम्पनियों द्वारा उपकरणों में उपयोग के लिए नई सर्किट विकसित करने हेतु चिप डिजाइनिंग, चिप्स के लिए सॉफ्टवेयर डिजाइन करना और केन्द्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकारों (IPR) के माध्यम से उनका पेटेंट कराना. इसके अन्तर्गत चिप-निर्माण मशीन बनाना शामिल है; फैब या कारखाने, ATMP स्थापित करना.
सेमीकण्डक्टर्स स्मार्टफोन से लेकर इण्टरनेट ऑफ थिंग्स (IoT ) में जुड़े उपकरणों तक लगभग हर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के थम्बनेल के आकार के बिल्डिंग ब्लॉक हैं. वे उपकरणों को संगणकीय शक्ति देने में मदद करते हैं.

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