Knowledge Booster - 13

Knowledge Booster - 13

"मेगा फूड पार्क" योजना का उद्देश्य क्या है ?

"मेगा फूड पार्क" योजना का उद्देश्य किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और खुदरा विक्रेताओं को एक साथ लाकर कृषि उत्पादन को बाज़ार से जोड़ने के लिए एक तन्त्र प्रदान करना है, ताकि मूल्यवर्धन को अधिकतम करना, अपव्यय को कम करना, किसानों की आय में वृद्धि करना और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करना सुनिश्चित किया जा सके. यह योजना अच्छी तरह से स्थापित आपूर्ति श्रृंखला के साथ पार्क में उपलब्ध कराए गए औद्योगिक भू-खण्डों में आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित कृषि / बागवानी क्षेत्र में अत्याधुनिक समर्थन बुनियादी ढाँचे के निर्माण की परिकल्पना करती है.
"मेगा फूड पार्क" योजना वातानुकूलित कक्षों, दबाव वेंटिलेटर, परिवर्तनीय आर्द्रता भंडार, प्रीकूलिंग कक्षों' कोल्ड चेन बुनियादी ढाँचे सहित विशेष भंडारण सुविधाओं के निर्माण पर केन्द्रित है, जिसमें रीफर वैन, पैकेजिंग इकाई, विकिरण सुविधाएँ, भाप उत्पादन इकाइयाँ, फूड इनक्यूबेशन सह- विकास केन्द्र आदि शामिल हैं.

गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधि- नियम (Unlawful Activities Prevention Act-UAPA) क्या है ?

मूल रूप से गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम ( UAPA) को वर्ष 1967 में लागू किया गया था. इसे वर्ष 2004 और वर्ष 2008 में आतंकवाद विरोधी कानून के रूप में संशोधित किया गया था. अगस्त 2019 में संसद ने कुछ आधारों पर व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित करने के लिए UAPA (संशोधन) बिल, 2019 को मंजूरी दी आतंकवाद से सम्बन्धित अपराधों से निपटने के लिए यह सामान्य कानूनी प्रक्रियाओं से अलग है और इसके नियम सामान्य अपराधों के नियमों से अलग हैं. जहाँ अभियुक्तों के संवैधानिक सुरक्षा उपायों को कम कर दिया गया है. UAPA, सरकार द्वारा गठित उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तहत् न्यायाधिकरण का प्रावधान करता है, ताकि उसके प्रतिबन्ध लम्बे समय तक कानूनी रूप से सुरक्षित रहे. न्यायाधिकरण के पास अपनी स्वयं की प्रक्रिया को विनियमित करने की शक्ति है, जिसमें वह स्थान भी शामिल है जहाँ वह अपनी बैठकें आयोजित करता है. इस प्रकार यह उन राज्यों से सम्बन्धित आरोपों के लिए विभिन्न राज्यों में सुनवाई कर सकता है. पूछताछ करने के लिए न्यायाधिकरण के पास वही शक्तियाँ हैं जो सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत् सिविल कोर्ट में निहित हैं.

'प्रोजेक्ट चीता' क्या है ?

प्रोजेक्ट चीता' एक राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और मध्य प्रदेश सरकार शामिल है. इस परियोजना के तहत् चीतों को उनके मूलस्थान नामीबिया दक्षिण अफ्रीका से हवाई रास्ते से भारत गया और उन्हें मध्य प्रदेश (एमपी) के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाया गया. भारत का चीता प्रोजेक्ट विश्व का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जहाँ एक बड़े मांसाहारी जीव को किसी दूसरे महाद्वीप में बसाने की कोशिश हो रही है फरवरी 2022 में सरकार ने लोक सभा में जानकारी दी थी कि चीता प्रोजेक्ट के लिए 2021-22 से 2025-26 तक के लिए ₹ 38.70 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है.

संवैधानिक राजतन्त्र के बारे में आप क्या जानते हैं ?

संवैधानिक राजतन्त्र किसी राज्य की उस शाासन प्रणाली को कहते हैं जिसमें सर्वोच्च शासक तो राजा होता है, लेकिन उसकी शक्तियाँ किसी संविधान या कानून द्वारा सीमित होती हैं. इसका मतलब यह हुआ कि वह राजा अपनी मनमानी से राज नहीं कर सकता है. राजा उस देश के लिखित या अलिखित कानून से बँधा होता है. ब्रिटेन और जापान में ऐसी ही संवैधानिक राजतन्त्र वाली व्यवस्था है. इस तरह के ज्यादातर देशों में सत्ता या राजनीति की असली ताकत जनता द्वारा चुनी हुई संसद में निहित होती है. यही कारण है कि कभी- कभी इन्हें संसदीय राजतन्त्र भी कहा जाता है.

कुटुम्ब न्यायालय क्या होते हैं ?

कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम 1984 के अधीन पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना की गई. इस अधिनियम द्वारा न्यायालय को पारिवारिक विवादों में मैत्रीपूर्ण समझौतों को बढ़ावा देने के लिए स्वविवेक का प्रयोग करने का अधिकार दिया गया है. विवाद की . सच्चाई का पता लगाने के लिए न्यायालय अपनी प्रक्रिया स्वयं निर्धारित कर सकता है. सामान्यतः विवादों में वकीलों की उपस्थित नहीं होती है, लेकिन जटिल विषयों पर वकीलों को प्रस्तुत होने की अनुमति दी जा सकती है. विभिन्न विषयों पर निर्णय करते समय कुटुम्ब, संघों और परामर्शदाताओं की सेवाएँ ली जा सकती हैं.
उच्च न्यायालय में कुटुम्ब न्यायालयों के निर्णयों एवं आदेशों के विरुद्ध अपील की जा सकती है, साथ ही संविधान के अनुच्छेद 156 के तहत् उच्चतम न्यायालय में भी अपील की जा सकती है.

कार्बन-चक्र क्या है ?

पारिस्थितिक तन्त्र में कार्बन के चक्रीय स्थानान्तरण को कार्बन चक्र कहा जाता है. परितन्त्र या जीवमण्डल में कार्बन का स्थानान्तरण ठोस, द्रव अथवा गैस के रूप में होता है. गैसीय रूप में कार्बन का संचार कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में होता है. यह वायुमण्डल में गैस के रूप में और जल में विलेय होकर विलयन के रूप में विद्यमान होती है जैविक तत्वों में कार्बोहाइड्रेड तथा भूपर्पटी की शैलों में कैल्सियम कार्बोनेट एवं खनिज कार्बोनेट के रूप में कार्बन विद्यमान होता है. जीवमण्डल में कार्बन का स्थानान्तरण ऊर्जा प्रवाह के साथ होता है. मनुष्य तथा अन्य जीव श्वसन क्रिया द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड निकालते हैं, जो वायुमण्डल में मिल जाती है.
जीवित पौधे वायुमण्डलीय कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करके कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं. उनकी श्वसन क्रिया में कार्बोहाइड्रेट का विघटन होता है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होकर पुनः वायुमण्डल में चली जाती है. शुष्क पौधों तथा मृत जीवों के अवयवों का वियोजन होने पर तथा शैलों का अनाच्छादन होने पर कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होकर वायुमण्डल में विलीन हो जाती है. इसी प्रकार जीवाश्म ईंधनों (लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम आदि) के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड निर्गत होती है और वायुमण्डल में मिल जाती है. सामान्यतः, जिस गति से वायुमण्डल से कार्बन पृथक होता है, विभिन्न प्रावस्थाओं से होकर यह उसी गति से पुनः वायुमण्डल में पहुँच जाता है और इस प्रकार कार्बन चक्र पूर्ण होता है.
कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide ) - वायुमण्डल की एक महत्वपूर्ण गैस जो वानस्पतिक जीवन के लिए अनिवार्य होती है. यह रंगरहित गैस है जिसकी उत्पत्ति ऑक्सीजन के साथ कार्बन के जलने से (CO) होती है. वायुमण्डल की संरचना में कार्बन डाइआक्साइड का अनुपात मात्र 0-033 प्रतिशत है, जबकि नाइट्रोजन लगभग 78 प्रतिशत और ऑक्सीजन लगभग 21 प्रतिशत पाई जाती है.

लोक हित वाद क्या होते हैं ?

न्यायपालिका द्वारा दलित, निर्धन, पिछड़े, निरक्षर एवं अक्षम लोगों को शीघ्र न्याय दिलाने के उद्देश्य से अपने ऊपर लगे प्रतिबन्ध, जिसमें वह तभी निर्णय करती थी जब वादी प्रतिवादी पक्ष न्यायालय में उपस्थित होकर न्याय की माँग करते थे, को हटा दिया. इसके साथ ही न्यायिक प्रक्रिया को लोकहित के मामले में सरल एवं सुगम बना दिया लोकहित वाद में जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं, शोषण पर्यावरण बालश्रम, स्त्रियों का शोषण आदि विषयों पर न्यायालय को किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा मात्र सूचित करने पर न्यायालय स्वयं उसकी जाँच कराकर या वस्तुस्थिति को देखकर जनहित में निर्णय देता है. इस प्रकार के वाद जनहित या लोकहित वाद (Public Interest Litigation) कहलाते हैं. यह उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय में ही प्रस्तुत किए जाते हैं. लोकहित वाद को जस्टिस पी. एन. भगवती तथा वी.के. कृष्णा अय्यर ने 1970 के उत्तरार्द्ध में प्रारम्भ किया जिसे वैंकटचैलय्या, जे. एस. वर्मा, कुलदीप सिंह आदि न्यायाधीशों ने आगे बढ़ाया. न्यायपालिका के इस कार्य से जनता की अनेक समस्याओं का समाधान हो चुका है.

निःशुल्क विधिक सहायता का क्या प्रावधान है ?

गरीब और असहाय व्यक्तियों को, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा, निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान की जाती है. विधिक सहायता के अन्तर्गत पात्र व्यक्ति को सरकारी खर्च पर वकील उपलब्ध कराना व्यक्ति की ओर से दिए जाने वाला न्यायालय शुल्क प्रदान करना, टाइपिंग और याचिकाओं तथा दस्तावेजों को तैयार करने में होने वाला व्यय वहन करना तथा मुकदमे से सम्बन्धित अन्य खर्च सम्मिलित हैं..
विधिक सहायता प्राप्त करने के पात्र वह व्यक्ति हैं, जो अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के सदस्य हैं या महिला अथवा बालक हैं या विकलांग व्यक्ति, अधिनियम 1995 की धारा 2 के खण्ड (1) में परिभाषित विकलांग व्यक्ति हैं या व्यापक प्रकृति विनाश या मानवीय हिंसा का शिकार व्यक्ति हैं अथवा देह व्यापार या बेगारी का शिकार व्यक्ति है अथवा औद्योगिक श्रमिक, अथवा मनोचिकित्सालय हिरासत, सुरक्षा गृह, बाल गृह में रखा गया व्यक्ति है अथवा जिसकी अधिकतम वार्षिक आय ₹25.000 (उच्च न्यायालय के लिए) तथा ₹50,000 (उच्चतम न्यायालय के लिए) है, विधिक सेवा प्राप्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय तथा जिले में सम्बन्धित विधिक सेवा समिति के सचिव से सम्पर्क स्थापित करना पड़ता है.

क्या महिलाओं के दिमाग पुरुषों से तेज होते हैं ?

महिलाओं के दिमाग पुरुषों की तुलना में विशेषतः ध्यान केन्दित करने, आवेश नियंत्रण भावना और तनाव के क्षेत्रों में अधिक सक्रिय होते हैं. एक शोध के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला गया है जिसमें 46034 मस्तिष्कों का इमेजिंग अध्ययन किया गया. इस अध्ययन में महिलाओं का दिमाग पुरुषों की तुलना में कुछ क्षेत्रों में अधिक सक्रिय पाया गया. अमरीका में 'अमेन क्लीनिक्स' के संस्थापक और 'जर्नल ऑफ अल्जाइमर डिसीज' में प्रकाशित इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डेनियल जी अमेन ने बताया कि लिंग आधारित मस्तिष्क भिन्नताओं को समझने के लिए यह अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा, हमने पुरुषों और महिलाओं के बीच ऐसी भिन्नताओं को चिह्नित किया है, जो अल्जाइमर बीमारी जैसे मस्तिष्क से जुड़े विकारों को लैंगिक आधार पर समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं.
अध्ययन में पाया गया कि महिलाओं का दिमाग विशेषकर आवेश नियंत्रण, ध्यान, भावुकता भाव और तनाव के क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में अधिक सक्रिय पाया गया, जबकि पुरुषों में मस्तिष्क के दृश्य और समन्वय केन्द्र अधिक सक्रिय थे. अध्ययन में पाया गया कि महिलाओं के दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में रक्त प्रवाह में वृद्धि के कारण अधिक चिंता, अवसाद, अनिद्रा और खानपान का असन्तुलन पाया जाता है.

उष्णकटिबंधीय चक्रवात क्या है ? विश्व के विभिन्न भागों में यह किन नामों से जाना जाता है ?

कर्क और मकर रेखा के मध्य स्थित क्षेत्रों (उष्ण कटिबंध) में उत्पन्न होने वाले चक्रवात को उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहते हैं. इन चक्रवातों की गति, आकार तथा मौसम सम्बन्धी दशाओं में पर्याप्त भिन्नता पाई जाती है. इस चक्रवात के मध्य में न्यूनदाब होता है और समदाब रेखाएं वृत्ताकार होती हैं और केन्द्र से बाहर की ओर वायुदाब तीव्रता से बढ़ता है जिसके कारण हवाएं बाहर से केन्द्र की ओर तेजी से चलती हैं और ऊपर उठती हैं. इनके आगमन से भयंकर तूफान उत्पन्न होते हैं. इन चक्रवातों का व्यास सामान्यतः 50 किमी से 200 किमी तक होता है, किन्तु 50 किमी से कम व्यास वाले चक्रवात भी उत्पन्न होते हैं. इनकी गति साधारण (30 किमी प्रतिघण्टा ) से लेकर प्रचंड (120 किमी प्रति घण्टा) तक पाई जा सकती है. इन चक्रवातों में हरीकेन अधिक प्रचंड होता है जिसकी गति 120 किमी प्रति घण्टा से भी अधिक होती है.
इन चक्रवातों की गति अबाध सागरों के ऊपर अति तीव्र होती है और स्थलीय भागों पर पहुँचते ही ये क्षीण होने लगते हैं तथा आन्तरिक भागों में पहुँचकर प्रायः विलीन हो जाते हैं. अतः महासागरीय द्वीपों तथा सागर तटीय भागों पर इनका सर्वाधिक प्रभाव होता है ये चक्रवात अधिकांशतः ग्रीष्मकाल में उत्पन्न होते हैं, जो अपनी तीव्रगति तथा तूफानी प्रकृति के कारण अधिक विनाशकारी होते हैं. इन चक्रवातों के प्रत्येक भाग में वर्षा होती है और इनमें वर्षा की कोशिकाएं नहीं होती हैं. ये सदैव गतिशील नहीं रहते हैं और कभी-कभी एक ही स्थान पर कई दिनों तक ठहर जाते हैं तथा अत्यधिक वर्षा करते हैं. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के मार्ग विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होते हैं, किन्तु सामान्यतः ये व्यापारिक हवाओं की दिशा में पूर्व से पश्चिम की ओर अग्रसर होते हैं.
संसार के विभिन्न भागों में गति एवं तीव्रता के अनुसार अनुसार उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को पृथक् पृथक् नामों से पुकारा जाता है. बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में इन्हें चक्रवात (Cyclone), पश्चिमी द्वीप समूह के पास ( अटलांटिक महासागर में ) हरीकेन चीन के पूर्वीतट (उत्तरी प्रशांत महासागर) पर टाइफून पूर्वी द्वीप समूह तथा उत्तरी-पश्चिमी आस्ट्रेलिया के निकट विलीबीज और आस्ट्रेलिया के उत्तरी-पूर्वी तट के समीपस्थ भाग में टारनैडो के नाम से जाना जाता है. हरीकेन तथा टाइफून अत्यंत भयंकर विशाल और विनाशकारी होते हैं, किन्तु ये कभी-कभी ही उत्पन्न होते हैं.

Download PDF

Download & Share PDF With Friends

Download PDF
Free

Tags - knowledge booster, important questions pdf download

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post