Knowledge Booster - 3

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1.बॉडी लैंग्वेज क्या होती है ? इससे व्यक्ति के बारे में क्या जाना जा सकता है ?

➥ हम अक्सर किसी को अच्छी तरह से समझने की बात करते हैं , जो कि बॉडी लैंग्वेज के माध्यम से संभव होता है । दरअसल बॉडी लैंग्वेज अपने आप में एक संपूर्ण भाषा है , जो आपके व्यक्तित्व को दर्शाने के साथ - साथ यह भी बता सकती है । कि आपके मन में चल क्या रहा है । बॉडी लैंग्वेज या कहें कि आपके हाव - भाव एक तरह की शारीरिक भाषा हैं , जिसमें शब्द भले ही न हों , लेकिन यह बहुत कुछ कहती है । यह आपका व्यकि तत्व दर्शाती है । हर हाव भाव का अलग अर्थ होता है । जैसे किसी व्यक्ति के अंदर गुस्सा , उदासी , खुशी , मनोरंजन जैसे भाव इस बॉडी लैंग्वेज के जरिए आसानी से पता लग जाते हैं । सबसे अहम हैं , चेहरे पर आए भाव । चेहरे पर आए भाव नाराजगी , दुख , जलन , खुशी , चिंता आदि सभी भावों को सामने ला देते हैं । कुछ पसंद नहीं आता तो नाक सिकोड़ते हैं , मुंह फुला लेते हैं । आंखें बॉडी लैंग्वेज समझने का सबसे अहम हिस्सा हैं । अगर आप संतुलित और सीधी अवस्था में हैं तो ये आपका आत्मविश्वास दर्शाती हैं । बैठने के दौरान आप आगे की ओर झुककर बैठते हैं , तो मतलब आप दोस्ताना हैं । आप सिर उठाते हुए मुस्कुराते हैं तो यह आपके चंचल मन या मजाकिया होने की निशानी है । कहा जाता है कि झूठ बोलने वाला व्यक्ति नजर मिलाकर बात नहीं कर सकता । यह सब बॉडी लैंग्वेज का हिस्सा है । इंसान चेहरे पर 2,50,000 हाव - भाव पैदा कर सकता है ।

2.दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक कौनसी है ?

➥ इस पर कोई दावा नहीं किया जा सकता , क्योंकि इसका हिसाब रखना बहुत मुश्किल है । मोटे तौर पर माना जाता है कि बाइबिल , कुरान शरीफ , महाभारत , भागवत गीता और रामायण से लेकर माओ जे दंग की सूक्तियां जैसी किताबें दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में शामिल हैं । छपाई के आविष्कार के बाद से किताबों के प्रकाशन में तेजी आई है , लेकिन तब से अब तक इसका हिसाब नहीं रखा गया । दुनिया में हर साल सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों की सूची बनाई जाती है लेकिन किताबों के वर्ग अलग - अलग होते हैं । इनमें कुछ उपन्यास होते हैं तो कुछ कहानियां होती हैं । जैसे चार्ल्स डिकेंस की द टेल ऑफ टू सिटीज पहली बार वर्ष 1859 में प्रकाशित हुई थी । तब से अब तक इसकी 20 करोड़ से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं । इसी तरह हैंस क्रिश्चियन एंडरसन की द फेयरी टेल्स दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में शामिल है । गिनीज वर्ल्ड रिकॉड्र्स प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाली पुस्तक है , जो अमेरिकी सार्वजनिक पुस्तकालयों से सबसे ज्यादा चोरी होने वाली पुस्तक भी है ।

3.आईसीयू क्या होता है और रोगियों को इसकी जरूरत क्यों होती है ?

➥ आईसीयू का अर्थ होता है इंटेंसिव केयर यूनिट यानी अस्पताल का वह कक्ष , जहां मरीज पर गहरी नजर रखी जाती है । इसे इंटेंसिव ट्रीटमेंट यूनिट या क्रिटिकल केयर यूनिट जैसे नाम भी दिए गए हैं । आईसीयू के बारे में मूल बात यह है कि इस कक्ष में ऐसे उपकरण और सुविधाएं लगाई जाती हैं , जो रोगी की सहायता कर सकती हैं । ये सुविधाएं अलग - अलग आवश्यकताओं के अनुसार होती हैं । इसे इस तरह समझें कि दिल का दौरा पड़ने पर रोगी को अस्पताल में लाने पर उसे जो जरूरी सुविधाएं चाहिए , उससे अलग किस्म की सुविधाएं उस मरीज को चाहिए होंगी , जिसके दिल का ऑपरेशन हुआ होगा । अस्पतालों में अब ये कक्ष विशेषज्ञता के आधार पर बनाए जाते हैं और मरीजों को उनकी चिकित्सीय स्थिति के आधार पर इनमें भर्ती किया जाता है ।

4.मतदान के दौरान लगाई जाने वाली स्याही की संरचना क्या है ? क्या इसे कहीं और भी इस्तेमाल किया जा सकता है ?

➥ भारत के शुरुआती चुनावों में इस स्याही का इस्तेमाल नहीं होता था । लेकिन बाद में फर्जी मतदान की शिकायतें आने पर वर्ष 1962 से इस स्याही का इस्तेमाल होने लगा था । भारतीय चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय , राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला , राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के साथ मिलकर इस स्याही को तैयार किया था । इसका फॉर्मूला गोपनीय है । इसका पेटेंट राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला के पास है । मोटे तौर पर सिल्वर नाइट्रेट से तैयार होने वाली यह स्याही एक बार त्वचा पर लग जाए तो इसका निशान काफी दिन तक बना रहता है । इतना ही नहीं , त्वचा पर पराबैंगनी प्रकाश पड़ने पर यह चमकती भी है और इसे छिपा पाना संभव नहीं । मतदान के बाद अक्सर लोग अपनी उंगली पर इसी निशान को दिखाते हैं । कर्नाटक सरकार के सरकारी प्रतिष्ठान मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड द्वारा बनाई जाने वाली इस स्याही के ग्राहकों में दुनिया के 28 देश शामिल हैं । इस स्याही को खास तौर पर चुनावों के लिए ही बनाया गया है । इस स्याही का दूसरा कोई इस्तेमाल नहीं है ।

5.एक क्यूसेक कितने लीटर के बराबर होता है ?

➥ क्यूसेक बहते पानी या तरल का पैमाना है जबकि लीटर स्थिर तरल का । क्यूसेक का अर्थ होता है - क्यूबिक फीट प्रति सेकंड यानी एक फुट लंबे , एक फुट चौड़े और एक फुट गहरे स्थान से एक सेकंड में जितना पानी निकल सके । सामान्यतया एक क्यूसेक में 28 . 317 लीटर पानी होता है ।

6.भारत में सर्वप्रथम प्रतियोगी परीक्षा किस विभाग की हुई ?

➥ भारत में वर्ष 1857 के संग्राम के बाद अंग्रेजी सरकार का शासन कायम हो गया था । गर्वनमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858 के तहत भारत में नागरिक सेवाओं के लिए अफसरों की नियुक्ति के नियम भी बनाए गए थे । इन सेवाओं को पहले इंपीरियर सिविल सर्विस और बाद में इंडियन सिविल सर्विस का नाम दिया गया । शुरुआत में इनकी भर्ती की परीक्षाएं सिर्फ लंदन में हुआ करती थीं । बाद में ये परीक्षाएं इलाहाबाद में भी होने लगीं । नीचे के पदों को भारतीय कर्मचारियों से भरा जाता था । वर्ष 1923 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा में स्थानीय भागीदारी के लिए एक आयोग बनाया । इसके अध्यक्ष थे - लॉर्ड ली ऑफ फेयरहैम । इससे पहले इंस्लिंगटन कमीशन और मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड आयोग ने भी भारतीयों की भागीदारी के लिए सिफारिशें की थीं । बहरहाल ली आयोग ने सिफारिश देते हुए कहा था कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में 40 फीसदी ब्रिटिश , 40 फीसदी भारतीय सीधे भर्ती किए जाएं और 20 फीसदी स्थान उन अधिकारियों को दिए जाएं जो प्रादेशिक सेवाओं से प्रोन्नत करके लाए गए हैं । ली आयोग ने भर्तियों के लिए एक लोक सेवा आयोग बनाने की भी सिफारिश की । इसके बाद वर्ष 1926 में लोक संघ सेवा आयोग की स्थापना हुई । स्वतंत्रता के बाद संविधान सभा ने अनुच्छेद 315 के तहत इसे स्वायत्त संस्था के रूप में संविधान में स्थान भी दिया ।

7.खर्राटे क्यों आते हैं ? क्या यह कोई बीमारी है ? यदि हां , तो इसके लक्षण क्या हैं ? इससे कैसे बचा जा सकता है ?

➥ सोते समय गले का पिछला हिस्सा थोड़ा संकरा हो जाता है । सांस जब संकरे हिस्से में से होकर जाती है तो आस - पास के टिश्यूज में स्पंदन होता है , जिसके परिणामस्वरूप आवाज पैदा होती है यह हैं - खर्राटे । यह संकरापन नाक और मुंह की सूजन के कारण भी हो सकता है । यह सूजन एलर्जी , संक्रमण , धूम्रपान , शराब पीने या किसी दूसरे कारण से हो सकती है । इससे फेफड़ों को कम ऑक्सीजन मिलती है और मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर्स ज्यादा ऑक्सीजन मांगने लगते हैं । ऐसे में नाक और मुंह ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं , जिससे खर्राटे की आवाज आने लगती है । बच्चों में एडिनॉयड ग्रंथि में सूजन एवं टांसिल से भी खर्राटे आते हैं । मोटापे के कारण भी गले की नली में सूजन के चलते रास्ता संकरा हो जाता है और सांस लेने में आवाज आने लगती है । जीभ का बड़ा आकार भी खर्राटे का एक कारण है । ब्राजील में हुए एक शोध के अनुसार , शरीर में नमक की अधिक मात्रा ऐसे फ्लुइड का निर्माण करती है , जिससे नाक के छिद्र में व्यवधान पैदा होता है । बहरहाल , खर्राटे या तो खुद एक बीमारी है या फिर बीमारी का लक्षण है । खर्राटे से अचानक हृदय गति के रूकने का खतरा बना रहता है । मधुमेह एवं मोटापे की बीमारी के कारण खर्राटे के रोगी तेजी से बढ़ रहे हैं । खर्राटे के दौरान शरीर में रक्तसंचार अनियमित हो जाता है , जो कि दिल के दौरे का एक बड़ा कारण है । दिमाग में खून की कम आपूर्ति पक्षाघात का भी कारण बन सकती है । इससे फेफड़ों पर भी दबाव बनता है । खर्राटे के रोगियों को पोलीसोमनोग्राफी टेस्ट करवाना चाहिए । यह व्यक्ति के सोते समय की शारीरिक स्थितियों की जानकारी देगा ।

8.दाढ़ी के बाल पुरुषों में ही क्यों होते हैं , महिलाओं में क्यों नहीं ?

➥ जन्म के समय बच्चे के शरीर पर सिर्फ रोए जैसे बाल होते हैं । ग्यारह से तेरह साल की उम्र से ही लड़के - लड़कियों में सेक्स - ग्रंथियों का विकास शुरू हो जाता है । स्त्रियों और पुरुषों में ये ग्रंथियां विशेष प्रकार के हार्मोंस को पैदा करती हैं । इन्हें एंड्रोजेन्स कहा जाता है । पुरुषों में एंड्रोजेन्स की मौजूदगी के कारण ही दाढ़ी - मूछे विकसित होती हैं । स्त्री में अलग प्रकार के हार्मोंस पैदा होते हैं । इन्हें एस्ट्रोजेन्स कहते हैं । ये उसमें उसके लैंगिक लक्षण पैदा करते हैं । पुरुष में बनने वाले हार्मोस से आवाज में भारीपन और केश वृद्धि नियमित रूप से होने लगती है । स्त्री और पुरुष के हार्मोंस में भिन्नताओं के चलते ही इनके शारीरिक लक्षण एक - दूसरे से भिन्न होते हैं ।

9.साधारण पेयों की बोतलों पर लिखा एफपीओ क्या होता है ?

➥ सिर्फ पेय ही नहीं , किसी भी प्रसंस्करित खाद्य या पेय सामग्री को पैक करके बेचने के लिए भारत में इसे लगाना जरूरी है । एफपीओ का अर्थ है कि इन खाद्य पदार्थों को तैयार करते वक्त खाद्य सुरक्षा व मानक नियम 2006 के अंतर्गत निर्धारित मानकों का पालन किया गया है । इन मानकों के निर्धारण का काम भारत सरकार का खाद्य प्रसंस्कण उद्योग मंत्रालय किया करता है । देश में प्रसंस्करित खाद्य तैयार करने के लिए एफपीओ लाइसेंस लेना जरूरी है । एफपीओ की फुल फॉर्म है - फूड प्रोसेस ऑर्डर । इसे एक अहम मार्क माना जाता है ।

10.नाम रखने की परंपरा की शुरुआत कब से हुई ?

➥ यह तो नहीं कहा जा सकता कि नाम रखने की परंपरा कहां और कब से शुरू हुई , लेकिन इतना समझ आता है कि नाम का रिश्ता पहचान से है । नाम सिर्फ व्यक्ति का ही नहीं होता , यह समुदाय , वर्ग , स्थान , जाति , विषय आदि के भी होते हैं यानी पहली बात तो पहचान की है । इसी पहचान को ध्वनि दी गई है , वही नाम है । शुरुआत में नाम किसी जानवर को दिया गया होगा , या किसी फल को या फिर किस नदी , तालाब या पेड़ को । पेड़ और फल को अलग - अलग पहचानने के लिए ऐसा करना पड़ा होगा । बस्ती - बस्ती , नदी - नदी या तालाब - तालाब में फर्क करने के लिए ऐसा किया गया होगा । जब तक थोड़े से लोग होंगे , तब तक तो नाम की जरूरत नहीं रही होगी लेकिन जब लोगों की संख्या बढी होगी तो नाम भी बने होंगे । भाषा और लेखन का विकास होने पर इसमें सुधार हुए होंगे । बहरहाल दुनिया की सभी सभ्यताओं में व्यक्तियों के नाम मिलते हैं यानी मनुष्य का नामकरण प्रागैतिहासिक काल में हो गया था ।

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