राष्ट्रीय आय की मूल अवधारणाएँ_Basic Concepts Of National Income

राष्ट्रीय आय की मूल अवधारणाएँ_Basic Concepts Of National Income
राष्ट्रीय आय समय के दो बिन्दुओं के बीच की अवधि में एक देश की अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित प्रवाह ( Flow ) होता है । इसी तरह समय के दो बिन्दुओं के दिन देश की सम्पत्तियों का स्तर ( भण्डार या स्कन्ध अर्थात स्टॉक ) ( Stock ) कहा जाता है ।
आय के चक्राकार प्रवाह के विचारों का पहली बार फ्रांस के प्रकृतिवादी - कृषि अर्थशास्त्री फ्रेंकायज क्वीजने ( Francois Quesney ) ने सन् 1758 के द्वारा किया गया । एक सरल आय के चक्राकार प्रवाह के मॉडल में निम्न दो क्षेत्र होते हैं -
1 . प्रथम क्षेत्र - परिवार
2 . द्वितीय क्षेत्र व्यावसायिक - फर्मे ।
एक देश में उत्पादन के साधन परिवार से व्यावसायिक - फर्मों की ओर / तरफ व साधन - प्रतिफल व्यावसायिक - फर्मों से परिवार ओर / तरफ जाते हैं । इस प्रकार परिवार का व्यय व्यावसायिक - फर्मों की आय व व्यावसायिक - फर्मों का व्यय परिवार की आय का निर्माण करते हैं ।
वे सभी वस्तुएँ / सेवाएँ जिनका पूरा का पूरा ( प्रयोग ) उपभोग उनको खरीदने के बाद ही हो जाता है । अर्थात उपभोग वस्तुओं व सेवाओं का उपभोग केवल एक वित्तीय वर्ष में ही किया जा सकता है ।
उत्पादन में सहायता करने वाले वे साधन ( वस्तुएँ ) जो टिकाउ होते हैं , पूँजीगत वस्तुएँ कहलाते हैं । पूँजीगत वस्तुओं द्वारा कई वर्ष तक उत्पादन किया जा सकता हैं ।

मध्यवर्ती वस्तुएँ सामान्यतः अर्द्ध - निर्मित वस्तुएँ अथवा कच्चे माल के रूप में होती हैं । मध्यवर्ती वस्तुओं को उत्पादन प्रक्रिया के एक या अधिक चरणों / सोपानों से होकर निकलने के बाद अन्तिम वस्तु में बदला जाता है ।
निवेश उत्पादन के लिए किया जाने वाला व्यय होता है । जब एक उत्पादक नकद धन व्यय करता है तब वह मौद्रिक निवेश कहलाता है । मौद्रिक निवेश द्वारा नयी मशीन , नया भवन , नया बाँध , नयी नहर इत्यादि बनाने पर वह वास्तविक निवेश में बदल जाता है ।
निवेश दो प्रकार का होता है जैसे - सकल निवेशशुद्ध निवेश
एक निश्चित अवधि ( सामान्यतः एक वर्ष ) में उत्पादक - पूँजीगत वस्तुओं पर खर्च सकल निवेश तथा भौतिक पूँजीगत वस्तुओं की घिसावट अर्थात् मूल्यहास को घटाकर शेष बचा हुआ निवेश ही शुद्ध निवेश कहलाता हैं ।
पूँजीगत वस्तुओं में घिरावट को मूल्यहास कहा जाता है । घरेलू - सीमा की अवधारणा का अर्थ एक देश की भौगोलिक - सीमा के भीतर की जाने वाली आर्थिक क्रियाएँ ।
राष्ट्रीय आय की गणना में एक देश के सामान्य निवासियों की क्रियाओं से अर्जित आय ही सम्मिलित की जाती है ।
विदेशों से प्राप्त विशुद्ध साधन आय आयात व निर्यातों को घटाकर उनके अन्तर द्वारा ज्ञात की जाती हैं ।
वास्तविक जगत में दो क्षेत्रों के बजाय चार क्षेत्रों में राष्ट्रीय आय का चक्राकार प्रवाह होता है ।

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